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स्नान-आचमन लायक नहीं छोड़ा दरधा के जल को

जहानाबाद। निर्मल जल को अपने साथ लेकर अन्नदाताओं के खेतों तक पहुंचाने वाली दरधा अब नाले-नालियों के गंदे पानी को गतिशील करने में लगी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 11:33 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 11:33 PM (IST)
स्नान-आचमन लायक नहीं छोड़ा दरधा के जल को
स्नान-आचमन लायक नहीं छोड़ा दरधा के जल को

जहानाबाद। निर्मल जल को अपने साथ लेकर अन्नदाताओं के खेतों तक पहुंचाने वाली दरधा अब नाले-नालियों के गंदे पानी को गतिशील करने में लगी है। कभी नदी के किनारे मनोरम छटा रहती थी। अब दूषित पानी की बदबू का हाल यह है कि इसके तट से गुजरते ही नाक पर रूमाल रखना मजबूरी बन जा रहा है। एक ओर जहां इससे नदी का जीवन तो संकट में पड़ ही गया है। वहीं यह दूषित पानी परिदों के जान का दुश्मन भी बना हुआ है। नदी का पानी समझ परिदे इसे पीते तो हैं लेकिन मनुष्य की कारगुजारी उसे पानी के रूप में विष दे रहा है।धीरे-धीरे शहर की आबादी बढ़ती जा रही है। अब इसके विस्तार में कई ग्रामीण इलाके भी आ गए हैं।यह विस्तार इस जीवनदायनी नदी के खात्मे पर तुली हुई है। हालात यह है कि शहर के 33 वार्डों में से लगभग 30 वार्ड का पानी दरधा में ही गिरता है। इस नाले के पानी के साथ-साथ इसका अवशिष्ट भी नदी में जमा हो रहा है। जिसके कारण यह दिन प्रतिदिन सिकुड़ता जा रहा है। नप क्षेत्र में कितना होती है पानी की आपूर्ति यदि हम नगर में जलापूर्ति की बात करते हैं तो 30 वार्डों की 2011 की जनसंख्या के अनुसार 81 हजार थी। फिलहाल शहर की जनसंख्या एक लाख के करीब पहुंच गई है। आबादी के हिसाब से जिले में जलापूर्ति को लेकर 20 बोरिग की व्यवस्था की गई है। तीन बोरिग और विभाग द्वारा चयनित किया गया है लेकिन विवाद के कारण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। प्रत्येक महीने 13 करोड़ पांच लाख लीटर पानी सप्लाई किया जाता है। इसमें दस फीसद पानी पाइप लिकेज के कारण बर्बाद हो जा रहा है। यानि 13 लाख 50 हजार लीटर पानी बर्बाद हो जा रहा है। बतातें चले कि प्रत्येक मनुष्य के लिए 135 लीटर प्रत्येक दिन जरुरत पड़ती है। क्या है एसटीपी सिस्टम सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए शहर को अभी तक चयनित नहीं किया गया है। यदि शहर में एसटीपी की व्यवस्था कर दी जाती है तो दरधा नदी में गंदे पानी का बहाव रूक जाता है। एसटीपी के माध्यम से घरों से निकलने वाले पानी को एक जगह स्टोर किया जाता है। स्टोर पानी को स्वच्छ बनाकर नदी में छोड़ा जाता है। गंदे पानी से निकले मलवे को कहीं दूर बने कचड़े के डंप स्थान पर भेज दिया जाता है। इससे नदी की पानी स्वच्छ रहती है।

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