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ईमानदारी से करें पढ़ाई और माता-पिता व गुरुजनों के निर्देशों का अनुपालन

जहानाबाद। शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है। विकास के हर मामले में शिक्षा का स्तर सर्वोपरि होता है। एक शिक्षित व्यक्ति की सोच और उसका कार्यकलाप हमेशा विकास को गति प्रदान करने वाला होता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Nov 2018 12:05 AM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 12:05 AM (IST)
ईमानदारी से करें पढ़ाई और माता-पिता व गुरुजनों के निर्देशों का अनुपालन
ईमानदारी से करें पढ़ाई और माता-पिता व गुरुजनों के निर्देशों का अनुपालन

जहानाबाद। शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है। विकास के हर मामले में शिक्षा का स्तर सर्वोपरि होता है। एक शिक्षित व्यक्ति की सोच और उसका कार्यकलाप हमेशा विकास को गति प्रदान करने वाला होता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षा से ही विकास के रास्ते खुलते हैं। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित बाल संवाद कार्यक्रम में प्रतिभा पल्लवन पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने कहा कि आपलोगों के परिवार के लोग शिक्षा के महत्व को समझे हैं। तभी तो आपलोग अच्छे विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। आप अभी बच्चे हैं बावजूद यह महसूस करते होंगे कि शिक्षा का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता है। एक शिक्षित व्यक्ति की पारिवारिक स्थिति और एक अशिक्षित व्यक्ति की पारिवारिक स्थिति में बहुत अंतर हो जाता है। डीएम कहते हैं आपलोग भी अपना लक्ष्य निर्धारित किए होंगे। उस लक्ष्य की प्राप्ति का रास्ता शिक्षा से होकर ही गुजरती है। अगर आप अच्छे तरह से मन लगाकर पढ़ाई करेंगे तो निश्चित ही लक्ष्य आसानी से प्राप्त हो जाएगा। यदि पढ़ाई में कमी की गई तो लक्ष्य आपसे दूर भागता चला जाएगा। हालांकि इसका एहसास गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने पर ज्यादा होता है लेकिन तब तक सभी रास्ते बंद हो गए होते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु और अभिभावक की भूमिका बच्चों को हमेशा सार्थक साबित करता है। गुरु हमेशा अपने छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने की चाह रखते हैं। बच्चों पर कई लोगों की उम्मीदें टीकी रहती है। खासकर अभिभावक तथा गुरुजन काफी उम्मीद पाले रखते हैं। यदि किसी कारणवश असफलता मिलती है तो इससे माता-पिता के साथ-साथ गुरुजनों को भी दुख पहुंचता है। उन्होंने कहा कि आज आपलोगों के पास मौका है। परिवार के लोग भी हर संभव संसाधन मुहैया करा रहे हैं। आप मन लगाकर अपनी पढ़ाई करें और परिवार के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरें। अवसर मिला है तो मन लगाकर पढ़ें। आप इस देश के भविष्य हैं। इस पीढ़ी के लोगों पर ही देश का विकास भी निर्भर करता है। यदि आपलोग बेहतर तरीके से शिक्षा अर्जित करेंगे तो निश्चित ही समाज के अन्य लोगों का भी कल्याण होगा।किसी तरह की कोताही बरतना अपने आपको धोखा देना होगा। इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित बच्चों से जब जिलाधिकारी ने पूछा कि इनमें से कितने बच्चे समाहरणालय आए थे तो एक बच्ची को छोड़ सभी 29 छात्र-छात्राओं ने कहा कि वे लोग पहली बार यहां आए हैं। डीएम ने कहा कि यदि इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं होता तो शायद आपलोग अभी यहां नहीं आते। बाल संवाद कार्यक्रम में बच्चों ने जिलाधिकारी से कई सवाल भी पूछे। जिसका उन्होंने जवाब दिया।

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प्रस्तुत है उन सवालों-जवाबों के प्रमुख अंश 1-प्रश्न-सर आप हमलोगों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

ज्ञान रंजन

उतर- देखिए आपलोग आज की पीढ़ी हैं। आज का समय आपलोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यही कुछ वर्ष है जिसमें अपने आपको बेहतर बनाने की कोशिश करना है। आपलोगों के प्रयास से ही बेहतर तरीके से मंजिल प्राप्त होगा। आप ¨जदगी को न सिर्फ एक बेहतर मुकाम दें बल्कि समाज को भी अपने माध्यम से कुछ प्रदान करने का प्रयास करें। इसके लिए जरूरी है कि इस उम्र में मन लगाकर पढ़ाई करें। आपलोग एक बात को अच्छी तरह समझें बिना मेहनत किए कोई सफलता हासिल नहीं होता है। शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है। में सभी बच्चों को यह सलाह देना चाहता हूं कि ईमानदारी से पढ़ाई करते हुए अपने माता-पिता तथा गुरुजनों के निर्देशों का पालन करें। 2-.प्रश्न: सर जॉब के अलावा आपको क्या करना अच्छा लगता है।

पल्लवी कुमारी

उतर-देखिए आज मैं जिस पद पर हूं यहां काम और जिम्मेदारी अत्यधिक है।पूरी व्यवस्था को देखना, उसे पटरी पर दौड़ाना, लोगों की समस्या सुनना, उसका निराकरण, वरीय अधिकारियों के आदेश का अनुपालन आदि काम का बोझ इतना अधिक होता है कि फुर्सत का क्षण निकालना मुश्किल हो जाता है।बावजूद इसी व्यस्त कार्यक्रमों में से कुछ पल निकालने की कोशिश करता हूं।मुझे फोटोग्राफी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पें¨टग पसंद है। वैसे तो म्यूजिक सुनना और मूवी देखना भी मुझे अच्छा लगता है। मगर समय नहीं मिल पाता।मुवी देखे हुए तो महीनों बीत जाते हैं।मुझे याद नहीं कि मैं पिछली मुवी कब और कहां देखी थी। 3- प्रश्न: सर पिछले कई वर्षों इस शहर के अंदर आधारभूत संरचनाओं का विकास नहीं हुआ। जल निकासी का भी इंतजाम नहीं हुआ। इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं। आम आदमी, जिला प्रशासन या सरकार। क्या आपके पास निकट भविष्य में इस समस्या के निदान का कोई उपाय है?

अनामिका कुमारी

उतर- आपके प्रश्न से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूं। आपके सवाल में दो पार्ट हैं।मैं पहले पार्ट का जवाब दूं। आपका यह कहना गलत है कि जहानाबाद में आधारभूत संरचना का विकास नहीं हुआ है।आपको पता नहीं होगा। आज से 20 साल पहले आपके जहानाबाद की क्या स्थिति थी और आज आपका जिला विकास के किस पायदान पर पहुंच गया है। आज भी बाहर के लोग इस जिले का नाम सुनकर कांप उठते हैं। उनके मानस पटल पर एक बारगी जो आकृति उभरती है वह कोई शुभ संकेत नहीं देता। हालांकि आज ऐसी स्थिति नहीं है। एक समय जरुर था जब जहानाबाद और अरवल जिले में नरसंहारों का दौर चल रहा था। शाम ढलते ही शहर और गांव में विरानगी पसर जाती थी। आज तो लोग रात में भी घुम रहे हैं। किसी व्यक्ति के अंदर भय नाम की चीज नहीं रह गई है।आज सुदूरवर्ती गांव भी सड़क से जुड़ गई है। लगातार बिजली नहीं मिल रही है। मैं अपने ही गांव की बात करता हूं। ज्यादा दिन पांच छह साल पहले तक जब गांव जाता था और आज जा रहा हूं तो काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। यदि आपलोग भी गांव से जुड़े होंगे तो देख रहे होंगे कि गांवों की नाली गली पक्की है या नहीं। एक समय था।जब मात्र 23 फीसद घरों में शौचालय था। आज 90 फीसद घरों में शौचालय हो गया है। नल का जल जो बड़े शहरों तक ही सिमटा था आज गांवों में भी लोग इसका उपयोग कर रहे हैं।देखिए बदलाव अचानक नहीं आता। धीरे-धीरे आता है। रही बात जल निकासी की तो इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। इस समस्या का समाधान के लिए आम लोगों की सोंच में बदलाव लाना आवश्यक है। देखा जाता है कि लोग घर तो बना लेते हैं मगर ड्रेनेज सिस्टम आगे आने वाले वर्षों में होने वाले बदलाव को सोंचकर नहीं बनाते। घर बनाकर एक छोटा सा जल निकासी का माध्यम बना लेते हैं। मगर जब आबादी बढ़ती है तो वहीं छोटा सा जल निकासी का माध्यम समस्या बन जाता है। आमलोगों को इसके प्रति जागरुक और जवाब होने की जरुरत है।

4. प्रश्न:सर आपके आदर्श कौन हैं? अंजली राज

उतर- निश्चित तौर पर माता-पिता ही हमारे आदर्श हैं। मुझे आज भी याद है कि मेरे माता-पिता हमारे और हमारे परिवार के लिए कितना संघर्ष किए हैं। आज भी मैं संयुक्त परिवार में हूं। आज मैं जिस जगह पर हूं उसमें माता-पिता का ही योगदान है। हमारी इस खुशी के लिए पिता ने कई कष्ट झेले हैं।मैं मूल रुप से बांका जिले का रहने वाला हूं।

5.प्रश्न- जिले के विकास के लिए आप क्या करना चाहते हैं?

श्रेया राज

स्नेहा राज

उतर- देखिए जिलाधिकारी के रूप में यहां आते ही जिले के विकास की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा हूं। सरकार की जो भी विकास योजना है उसे बेहतर तरीके से क्रियान्वित कराए जाने की मेरी कोशिश रहती है। शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा में इस जिलेवासियों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो इसे लेकर हमेशा तत्पर रहता हूं। जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों में कई विकास योजनाएं संचालित हो रही है। अभी जोर शोर से स्वच्छता अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्ति के लिए कार्य किया जा रहा है। आपलोग भी अपने आसपास के लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने छात्रों के समक्ष सात निश्चय की चर्चा की और पूछा कि आपलोगों में से कितने लोगों को सात निश्चय के बारे में जानकारी है। हालांकि डीएम के इस सवाल का जवाब कम ही छात्र दे पाए। डीएम ने छात्रों को सात निश्चय के बारे में विस्तृत रूप से बताया और कहा कि इसपर ढेर सारे कार्य हो रहे हैं।


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