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हाईवे किनारे स्थित अमवां जाने के लिए पगडंडी ही सहारा

गांव-गांव तक सड़कों के बन जाने के बाद भी कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र के कुचायकोट प्रखंड का अमवां गांव सड़क नहीं पहुंच सकी है। एनएच 28 किनारे स्थित अमवां गांव आने-जाने के लिए अब भी पगडंडी का ही सहारा है। गांव से पगडंडी के रास्ते लोग हाईवे तक पहुंचते हैं। स्कूल खुलने पर गांव के बच्चों को नहर पार कर स्कूल जाना पड़ता है। दशकों से इस गांव के लोग गांव तक जाने के लिए सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन इसकी किसी को चिंता नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 08:32 PM (IST)
हाईवे किनारे स्थित अमवां जाने के लिए पगडंडी ही सहारा
हाईवे किनारे स्थित अमवां जाने के लिए पगडंडी ही सहारा

मनोज राय, कुचायकोट(गोपालगंज) : गांव-गांव तक सड़कों के बन जाने के बाद भी कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र के कुचायकोट प्रखंड का अमवां गांव सड़क नहीं पहुंच सकी है। एनएच 28 किनारे स्थित अमवां गांव आने-जाने के लिए अब भी पगडंडी का ही सहारा है। गांव से पगडंडी के रास्ते लोग हाईवे तक पहुंचते हैं। स्कूल खुलने पर गांव के बच्चों को नहर पार कर स्कूल जाना पड़ता है। दशकों से इस गांव के लोग गांव तक जाने के लिए सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, इसकी किसी को चिंता नहीं है।

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कुचायकोट प्रखंड की ढोढवालिया पंचायत में एनएच 28 के किनारे स्थित गांव अमवा के ग्रामीण पगडंडियों के सहारे गांव में आते जाते हैं। सर्वाधिक परेशानी स्कूल खुलने पर बच्चों को होती है। वे स्कूल जाने के लिए नहर के ऊपर बने मात्र दो फीट चौड़े स्लैब पर चढ़कर जान जोखिम में डालकर जाने के लिए मजबूर हैं। अभी भी यहां चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते हैं। वहां पैदल, साइकिल से या फिर बाइक से ही पहुंचा जा सकता है। सड़क नहीं होने से शादी विवाह से लेकर बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लगभग 600 की आबादी वाले इस गांव में सभी वर्ग और समुदाय के लोग रहते हैं। सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क बनवाने को लेकर काफी प्रयास किया गया, पर सफलता नहीं मिली। सड़क के लिए जमीन की अनुपलब्धता समस्या बनी हुई है। गांव नाहर के चलते दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक तरफ से नहर पार करने के लिए मात्र दो फुट चौड़ी स्लैब है। इस स्लैब पर रेलिग नहीं है। नहर में पानी रहता है तो स्कूल जाने के लिए बच्चे इसी स्लैब से पार होकर पढ़ने के लिए जाते हैं। नहर सूखी रहने पर वे नहर से होकर जाते हैं। गांव के ग्रामीण दशकों से गांव में सड़क तथा नहर पर पुलिया बनने की राह देख रहे हैं।


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