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गांवों में मौजूद कुएं की बदलेगी दशा, होगा जीर्णोद्धार

लगातार गिरते भू-जल के स्तर में सुधार के दिशा में प्रशासनिक स्तर पर पहल की जरूरत है। गांव में कुएं की हालत खराब है। उनके अस्तित्व पर खतरा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 04:30 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 04:30 PM (IST)
गांवों में मौजूद कुएं की बदलेगी दशा, होगा जीर्णोद्धार

जागरण संवाददाता, गोपालगंज : लगातार गिरते भू-जल के स्तर में सुधार के दिशा में प्रशासनिक स्तर पर पहल तेज कर दी गई है। इसके तहत जिले के कुल 1372 चिह्नित कुओं की स्थिति में सुधार किया जाएगा। अभियान के पहले चरण में 733 कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। प्रत्येक कुएं के जीर्णोद्धार की योजना पर 70 हजार की राशि खर्च किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस अभियान के दौरान तमाम कुओं की स्थिति ठीक कर उन्हें उनके पुराने स्वरूप में लाया जाएगा। ताकि भू-जल के स्तर पर और गिरने से बचाया जा सके।

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जानकारी के अनुसार वर्ष 1917 में बिहार में सर्वे का कार्य संपन्न कराया गया था। सर्वे के दौरान कुएं की भी गणना की गई थी। इस गणना के अनुसार पूरे जिले में सात हजार से अधिक छोटे-बड़े कुएं मौजूद थे। तब इन कुओं से निकले पानी को पीकर लोग अपनी प्यास बुझाते थे। खेतों की सिचाई का प्रमुख साधन में से एक कुआं भी था। समय से साथ व्यवस्था की मार कुओं पर पड़ने लगी। 1950-60 के बाद गांवों में स्थित कुओं की देखभाल धीरे-धीरे कम होने लगी और नतीजा अब कुआं का अस्तित्व मिटता जा रहा है। कुओं के संरक्षण की दिशा में सरकारी स्तर पर अब तक कोई पहल नहीं की गई। इस बीच करीब एक दशक पूर्व जब पानी की समस्या शुरू होने के साथ भू-जल स्तर गिरने लगा, तब तालाबों की स्थिति में सुधार की प्रशासनिक स्तर पर पहल की गई। इसके तहत मनरेगा से लेकर मत्स्य पालन के नाम पर गांवों में मौजूद तालाबों को दुरुस्त करने का कार्य प्रारंभ किया गया। लेकिन कुआं सरकारी योजनाओं में उपेक्षित ही रह गए। अब सरकार की नजर कुओं की ओर गई है। इसके तहत कुओं के सर्वेक्षण के साथ ही उनकी दशा में सुधार की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया है। --------------

कुएं के अस्तित्व पर संकट के बादल

गोपालगंज : परंपरागत जल का प्रमुख स्त्रोत के रूप में जाने जाने वाले कुआं के अस्तित्व पर पिछले कुछ समय संकट मंडराने लगा है। कुओं की पर्याप्त देखभाल नहीं होने के कारण गंदगी से पटे कुओं का पानी समाप्ति की ओर है। गांवों में कई पुराने कुओं का पानी पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। कुछ का जल समाप्त होने के कगार पर है। लेकिन अब इनकी स्थिति में सुधार की पहल के बाद गांवों में इन्हें बचाने की उम्मीद बढ़ने लगी है। -----------------

धार्मिक आयोजनों तक सिमट गए हैं कुएं

गोपालगंज : सरकार के स्तर पर कुओं की दशा पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण पिछले कुछ समय से गांवों में स्थित कुएं अब तेजी से पाटने का कार्य किया गया है। बावजूद इसके गांवों में अब भी कुएं बचें हैं। लेकिन इनकाउपयोग सिर्फ धार्मिक आयोजनों तक की सिमटा हुआ है। बचे हुए कुओं की दशा भी वर्तमान समय में इस कदर खराब हो चुकी है कि तमाम कुएं अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते दिख रहे हैं। --------------

कुल कितने कुएं चिह्नित व कितने का शुरू हुआ जीर्णोद्धार

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प्रखंडों में चिह्नित कुएं, जिनका हो रहा जीर्णोद्धार

विजयीपुर 79 48

हथुआ 75 39

बैकुंठपुर 19 12

बरौली 228 114

भोरे 202 70

गोपालगंज 161 100

कटेया 148 93

कुचायकोट 118 81

मांझा 51 22

पंचदेवरी 04 01

फुलवरिया 31 17

सिधवलिया 75 21

थावे 40 30

उचकागांव 141 85

कुल 1372 733

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सरकार के निर्देश पर पंचायत राज विभाग की ओर से कुल 1372 चिन्हित कुओं के जीर्णोद्धार की पहल की गई है। इसके तहत कुओं के सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण कर लिया गया। साथ ही 733 कुओं के जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।

अनंत कुमार, जिला पंचायती राज पदाधिकारी ------------------

- 70 हजार की राशि खर्च की जाएगी प्रत्येक कुएं की स्थिति में सुधार पर

- 1372 चिह्नित किये गए हैं कुएं, जल्द होगा इनका कायाकल्प


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