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हत्या मामले में सगे भाइयों को दस साल का सश्रम कारावास

गोपालगंज। करीब आठ साल पूर्व मांझा थाना क्षेत्र के मलिकाना गांव में हुई हत्या के मामले में पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्व विभूति गुप्ता के न्यायालय ने दो सगे भाइयों को दस-दस साल के सश्रम कारावास तथा एक-एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। अर्थदंड की राशि में से 50-50 हजार की राशि इस आपराधिक मामले के सूचक को देना होगा। सजा सुनाए जाने के बाद दोनों आरोपित को सजा काटने के लिए जेल भेज दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 06:23 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 06:23 PM (IST)
हत्या मामले में सगे भाइयों को दस साल का सश्रम कारावास
हत्या मामले में सगे भाइयों को दस साल का सश्रम कारावास

गोपालगंज। करीब आठ साल पूर्व मांझा थाना क्षेत्र के मलिकाना गांव में हुई हत्या के मामले में पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्व विभूति गुप्ता के न्यायालय ने दो सगे भाइयों को दस-दस साल के सश्रम कारावास तथा एक-एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। अर्थदंड की राशि में से 50-50 हजार की राशि इस आपराधिक मामले के सूचक को देना होगा। सजा सुनाए जाने के बाद दोनों आरोपित को सजा काटने के लिए जेल भेज दिया गया।

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जानकारी के अनुसार मांझा थाना क्षेत्र के मालिकाना गांव के बृजकिशोर सिंह के पुत्र आशीष कुमार की 17 अप्रैल 2011 को चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। उन्हें बचाने गए उनके दो अन्य पुत्रों अजय सिंह और राज किशोर सिंह को भी हमलावरों ने चाकू से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। इस घटना को लेकर घायलों के बयान पर मलिकाना गांव के लोकेश सिंह, उनके भाई अमरेंद्र सिंह तथा अमरजीत चौधरी के विरुद्ध मांझा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अनुसंधान के क्रम में कांड के अनुसंधानकर्ता ने अमरजीत चौधरी का नाम केस से निकालते हुए शेष दोनों भाइयों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया। आरोप पत्र आने के बाद इस आपराधिक मामले में सत्र न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्य के आलोक में पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय ने दोनों भाइयों को हत्याकांड में दस-दस साल के सश्रम कारावास तथा एक-एक लाख रुपया जुर्माना की सजा सुनाई। न्यायालय ने दोनों सजायाप्ता को जुर्माना राशि में से आधा सूचक को देने तथा आधी राशि नजारत में जमा करने का आदेश दिया है। इस मामले में सरकार की ओर से एपीपी अनिल कुमार शर्मा और बचाव पक्ष के अधिवक्ता खजांची मिश्र ने न्यायालय में अंतिम बहस किया।


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