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अबकी केतना मुखिया आ वार्ड सदस्य नल का जल में डूब जईहें..

गोपालगंज अब जनता जाग उठल बा आ आपन अधिकार भली भांति समझता अबकी केतना मुखिया आ वार्ड सदस्

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 04:55 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 04:55 PM (IST)
अबकी केतना मुखिया आ वार्ड सदस्य नल का जल में डूब जईहें..
अबकी केतना मुखिया आ वार्ड सदस्य नल का जल में डूब जईहें..

गोपालगंज : अब जनता जाग उठल बा आ आपन अधिकार भली भांति समझता, अबकी केतना मुखिया आ वार्ड सदस्य नल का जल में डूब जईहें। मतदान की तिथि नजदीक जाने के साथ ही कुछ इसी तरह की चुनावी चर्चा अब तेज हो गई हैं। बुधवार को प्रखंड के ढेबवां गांव में एक जगह एकत्रित होकर कुछ लोग चुनावी चर्चा में अपनी बात बेबाकी से रख रहे थे। इस चुनावी चर्चा में शामिल सुरेश राय ने कहा कि पहले लोग अपने अधिकारों को नहीं समझते थे। पर, अब ऐसा नहीं है। ज्यादातर लोग पंचायत के अधिकारों और उनके कार्यों से अवगत होने लगे हैं । अवध किशोर राय ने कहा जहां-जहां चुनाव भईल बा ओइजे के मुखिया आ वार्ड सदस्य लोग के परफार्मेंस देख ले, जे पांच साल काम ना करी ओकरा के लोग अब मौका ना दी।

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कुचायकोट प्रखंड में नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब प्रत्याशी जनसंपर्क करने में पूरा जोर लगा रहे हैं। इसके साथ ही चौक चौराहों से लेकर गली बाजारों तक चुनाव का माहौल गरमाने लगा है । जगह-जगह लोग पंचायत चुनाव को लेकर अपनी अपनी राय बेधड़क रखने लगे हैं। लोगों की बहस में एक बात जो उभर कर आ रही है कि जात पात और अन्य मुद्दों के अलावा अब विकास प्रमुख मुद्दा होने लगा है। लोग पंचायत प्रतिनिधियों से उनके कार्यकाल का डटकर हिसाब भी ले रहे हैं। प्रत्याशी के वोट मांगने के लिए गांव में पहुंचे पर ग्रामीण उन्हें रोककर पूछ रहे हैं कि पांच साल में का कईले बाड़, क बेर हमारा गांव में आईल बाड़। अगर नइखे आइल त तारा वोट मांगे के कौन अधिकार बा। ग्रामीण अब खुलकर यह बात कहने लगे हैं कि जे काम करी, जनता के सुख दुख में रही, ओकरे के जनता मौका दी । इन चुनावी चर्चाओं में नल जल योजना प्रमुख चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है। इसके अलावा गांव में लगने वाली स्ट्रीट लाइट भी चुनाव में प्रमुख मुद्दा बन गया है। स्ट्रीट लाइट का किसी गांव या वार्ड में लगना और दूसरी जगह नहीं लगना, लोगों के आक्रोश का कारण बन रहा है। चुनावी चर्चा में शामिल सुग्रीव राय कहते हैं कि जौन भी योजना पंचायत से संचालित होखे ओइमे कौनो भेदभाव ना होखे के चाही और तय नियम के अनुसार सबका वह योजना के लाभ मिले के चाही। लोगों के बीच चल रही चुनावी चर्चा से अब यह साफ होने लगा है कि इस बार विकास सभी मुद्दों पर भारी पड़ रहा है।


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