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Bihar News: तांत्रिकों की साधना स्थली है गोपालगंज का घोड़ा घाट देवी मंदिर, भगवान राम की यहां से गुजरी थी बरात

तांत्रिकों की साधना स्थली है घोड़ा घाट का मंदिर। हथुआ राज की राजमाता प्रत्येक वर्ष करतीं हैं विशेष पूजा-अर्चना। नवरात्र के समय दूर दराज से पहुुंचते हैं भक्त। दंत कथाओं के अनुसार इसी जगह से गुजरी थी भगवान राम की बरात

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Fri, 30 Sep 2022 03:33 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 03:33 PM (IST)
Bihar News: तांत्रिकों की साधना स्थली है गोपालगंज का घोड़ा घाट देवी मंदिर, भगवान राम की यहां से गुजरी थी बरात
गोपालगंज का घोड़ा घाट मंदिर। फाइल फोटो
उचकागांव (गोपालगंज), संवाद सूत्र। तांत्रिकों की साधना स्थली के रूप में विख्यात घोड़ा घाट पर थावे जाने के समय मां भवानी कुछ देर तक रुकी थीं। यहां मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए भक्तों भी भीड़ लगी रहती है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। हथुआ राज परिवार की राजमाता भी इस मंदिर में प्रति वर्ष पूजा-अर्चना के लिए आती हैं।

थावे मंदिर से भी जुड़ती है कथा 

दाहा नदी की तट पर स्थित ऐतिहासिक घोड़ाघाट मंदिर का निर्माण भी थावे के दुर्गा मंदिर के समय ही कराया गया था। बताया जाता है कि भगवती भक्त रहसू की पुकार पर कोलकाता से पटनदेवी होते हुए आमी आने के बाद मां भवानी घोड़ाघाट में ही रुक कर अपने भक्त रहषु के माध्यम से राजा मनन सेन को अंतिम चेतावनी दी थी।

राजा मनन सिंह के राज को किया तहस-नहस 

भक्त रहषु के माध्यम से मां द्वारा दी गयी चेतावनी के बाद भी जब राजा मनन सेन ने उनकी बातों को मानने से इंकार कर दिया। तब मां भगवती घोड़ाघाट से चलकर थावे पहुंची। थावे पहुंच मां ने राजा मनन सिंह के राज को तहस-नहस कर डाला। कहा जाता है कि दाहा नदी का उद्गम भी भगवान राम की बरात अयोध्या से लौटने के क्रम में हुआ।

इसी रास्‍ते लौटी थी भगवान राम की बरात 

दंत कथाओं के अनुसार भगवान राम की बरात वापसी के समय जगत जननी सीता को प्यास लगी। प्यास बुझाने के लिए उन्होंने लक्ष्मण से पानी की मांग की। तब लक्ष्मण ने वाण का अनुसंधान कर जमीन से गंगा जल निकाला था। इसी के कारण इस नदी का नाम वाण गंगा हो गया। लोग इसे दाहा के नाम से भी जानते हैं। 

51 कमल पुष्प से होती है पूजा 

घोड़ा घाट स्थित मां दुर्गा की मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए कश्मीर के मानसरोवर झील से 51 कमल पुष्प मंगाकर मां को अर्पित किया जाता है। पांच घोड़ों के रथ पर यह देवी मंदिर दशहरे के समय में तांत्रिकों का सिद्ध स्थल माना जाता है। इस मंदिर को पर्यटन के नक्शे पर चमकाने की घोषणा की जा चुकी है।

आने को है सुगम मार्ग 

उचकागांव प्रखंड में स्थित एक एतिहासिक दुर्गा मंदिर में पहुंचने के लिए मार्ग काफी सुगम है। जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर दूर स्थित मंदिर तक आने के लिए मीरगंज तथा गोपालगंज से हमेशा वाहन उपलब्ध हैं। ऐसे में यहां भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है।

उत्‍तर प्रदेश से भी आते हैं भक्‍त 

घोड़ा घाट दुर्गा मंदिर के पुजारी वीरेंद्र पाठक ने कहा कि घोड़ा घाट स्थित मां दुर्गा मंदिर में दोनों नवरात्र के समय बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश तक से भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना मां पूर्ण करती हैं।

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