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देवी मंदिरों में हुई मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना

मंगलवार को चैत नवरात्र के चौथे दिन ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर सहित जिले के तमाम दुर्गा मंदिरों में पूजा अर्चना को लोगों की भीड़ लगी रही। लोगों ने देवी के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा की उपासना कर आशीष मांगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 05:47 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 07:53 AM (IST)
देवी मंदिरों में हुई मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना

गोपालगंज। मंगलवार को चैत नवरात्र के चौथे दिन ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर सहित जिले के तमाम दुर्गा मंदिरों में पूजा अर्चना को लोगों की भीड़ लगी रही। लोगों ने देवी के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा की उपासना कर आशीष मांगा। मंगलवार को तड़के चार बजे से ही लोग ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर में मां की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचने लगे। दिन के दस बजे तक मंदिर परिसर लाोगों की भीड़ से पट सा गय। लोग घंटो कतार बद्ध होकर मां की पूजा अर्चना के लिए मंदिर के बाहर इंतजार करते रहे। इस दौरान पूजा को पहुंचे लोगों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्त दिखी। पुलिसकर्मी लोगों को कतार में लगाने के लिए जुटे रहे।

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मंगलवार को थावे मंदिर के साथ ही जिला मुख्यालय के दुर्गा मंदिर, बरौली के नकटो भवानी मंदिर, घोड़ा घाट मंदिर, लछवार मंदिर, जलालपुर स्थित दुर्गा मंदिर एवं हीरमती रानी मंदिर में भी पूजा अर्चना को काफी संख्या में लोग पहुंचे। थावे मंदिर के पुजारी सुरेश पाण्डेय ने नवरात्र के चतुर्थ के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कि त्रिविध तापयुक्त संसार जिनके उदर में स्थित है, वे भगवती कूष्माण्डा कहलाती हैं। इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए यह अष्टभुजी भी कहलाई। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत घट, चक्र और गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है। इनकी पूजा से आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि मां के इस दिव्य स्वरूप के ध्यान से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सृजन में रत रहकर हम अपने मन को विकारों से बचा सकते हैं और अपने जीवन में हास-परिहास को स्थान दे सकते हैं।


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