पहले सीखा हुनर, अब स्वावलंबी बन संवार रहीं अपना जीवन
बात मीना देवी से शुरू करते हैं। बैकुंठपुर प्रखंड के दिघवा उत्तर पंचायत के मठिया गांव की निवासी मीना देवी के पति मछली मार कर किसी तरह से अपना घर गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे।
गोपालगंज। बात मीना देवी से शुरू करते हैं। बैकुंठपुर प्रखंड के दिघवा उत्तर पंचायत के मठिया गांव की निवासी मीना देवी के पति मछली मार कर किसी तरह से अपना घर गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे। न बच्चों के तन पर ठीक से कपड़ा और ना ही दो जून के लिए राशन की व्यवस्था हो पाती थी। ऐसी ही स्थिति इस गांव की निवासी कांति देवी, कमली देवी, शनिचरी देवी, दौलाती देवी देवांती देवी.., सहित अधिकांश घरों की थी। पति मेहनत मजदूरी करते थे तथा महिलाएं घर तक ही सिमटी रहती थीं। लेकिन अब इस गांव की तस्वीर दूसरी है। इस गांव की महिलाएं विकास की कहानी लिख रही हैं। इन महिलाओं ने पहले जीविका समूह से जुड़ कर काम धंधा करने का हुनर सीखा। फिर समूह बनाकर स्वावलंबी बनने की राह पर निकल पड़ी। पहले बदहाल दिखने वाले इस गांव में अब महिलाओं की बदौलत घर-घर में खुशहाली पहुंच गई हैं। इस गांव की महिलाएं स्वरोजगार अपनाकर अपने घर परिवार से लेकर अपने गांव की तकदीर बदल रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी इस पंचायत के फैजुल्लाहपुर गांव की भी है। इस गांव की भी अधिकांश महिलाएं स्वावलंबी बन कर अपने घर-परिवार कर जीवन सवार रही हैं।
बैकुंठपुर प्रखंड के पिछड़े इलाके में गिना जाती है दिघवा उत्तर पंचायत। लेकिन अब इस पंचायत के फैजुल्लहापुर तथा मठिया गांव की महिलाओं ने अपने पंचायत की पहचान बदली दी है। अपने दम पर अपने घर परिवार की दशा बदलने के लिए आए आई इन दोनों गांव की महिलाओं की जज्बे की कहानी जीविका के आंकड़े ही बात रहे हैं। जीविका के आंकड़े बताते हैं कि कभी अपने घर तक सिमटी रहने वाली इन दोनों गांव की चार दर्जन से अधिक महिलाएं अब स्वावलंबी बन गई हैं। ये महिलाएं हुनर सीख कर समूह बनाकर स्वरोजगार कर रही हैं। फैजुल्लाहपुर गांव की नीतू देवी, बबीता देवी, बेबी देवी सहित दो दर्जन महिलाएं दुर्गा समूह बनाकर अपना काम धंधा कर रही है। रेडमेड गारमेंट्ट, किराना, जनरल स्टोर चलाने से लेकर महिलाएं अगरबत्ती, दउरा, सिलाई कढ़ाई कर रहीं हैं। इन्हीं महिलाओं में दिव्यांग बेबी देवी भी हैं। ये जीविका के सहयोग से अपना किराना दुकान खोलकर अपने घर में खुशहाली ला रही हैं। कुछ इसी तरह मठिया गांव की महिलाएं भी स्वावलंबी बनने की राह पर चल पड़ी है। इस गांव की उर्मिला देवी, आशा देवी सहित दो दर्जन से अधिक महिलाएं अगरबत्ती से लेकर टोकरी बनाकर अपने घर की आजीविका चला में सहयोग दे रही हैं।
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पहले घर तक ही सिमट कर गई थी। घर के पुरूष सदस्य मेहनत मजदूरी कर किसी तरह जीविका चलाते थे। अब खुद स्वरोजगार कर घर गृहस्थी चलाने में सहयोग कर रही हूं। खुद काम करने से आत्मविश्वास बढ़ गया है।
दिव्यांक बेबी देवी, फैजुल्लहापुर गांव निवासी
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सरकार महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रही है। जीविका के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षण देने के साथ ही उन्हें अपना काम धंधा शुरू करने के लिए महिला समूह बनाकर ऋण दिया जा रहा है। अब काफी संख्या में महिलाएं स्वावलंबी कराने के लिए आगे आ रही हैं। प्रशासन की तरफ से स्वरोजगार कर रही महिलाओं को पूरा सहयोग दिया जा रहा है।
अर¨वद कुमार गुप्ता, बीडीओ, बैकुंठपुर