Move to Jagran APP

इंसानियत की मिसाल: बच्‍चे की जान बचाने को रोजा तोड़ किया रक्तदान

बिहार के गोपालगंज निवासी जावेद आलम ले इंसानियत की मिसाल पेश की है। उन्‍होंने थैलेसीमिया पीडि़त एक बच्‍चे की जान बचाने को रोजा तोड़कर रक्तदान किया। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 08:27 AM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 06:47 PM (IST)
इंसानियत की मिसाल: बच्‍चे की जान बचाने को रोजा तोड़ किया रक्तदान
इंसानियत की मिसाल: बच्‍चे की जान बचाने को रोजा तोड़ किया रक्तदान

गोपालगंज [जेएनएन]। पहले नेकी फिर इबादत, हर धर्म इंसान को यही शिक्षा देता है। बिहार के गोपालगंज निवासी जावेद आलम ने नेकी के रास्ते को मजहब से बड़ा मान इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की जिसकी हर कंठ से सराहना हो रही है। उन्होंने गंभीर बीमारी थैलेसीमिया से पीडि़त एक बच्‍चे की जान बचाने को रोजा तोड़कर रक्तदान किया।

loksabha election banner

बिगडऩे लगी थी बच्‍चे की तबीयत

समाजसेवा के लिए जावेद आलम डिस्ट्रिक्ट ब्लड डोनेशन टीम (डीबीडीटी) में सक्रिय सदस्य के तौर पर जुड़े हैं। कुचायकोट प्रखंड के एक गांव का आठ वर्षीय राहुल (काल्पनिक नाम) थैलेसीमिया बीमारी से पीडि़त है। उसे हर महीने रक्त की जरूरत पड़ती है।

मंगलवार को उसकी तबीयत खराब हुई तो पिता रक्त चढ़वाने के लिए उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। लेकिन, ब्लड बैंक में बच्‍चे के ग्रुप का रक्त नहीं था। निराश परिजन बच्‍चे को रक्त चढ़वाने के लिए लोगों से रक्तदान के लिए मिन्नतें करने लगे। किसी को उनपर तरस नहीं आया। इसी बीच किसी ने रक्तदान करने वाली युवाओं की डीबीडीटी के सदस्य अनवर हुसैन को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने दोस्त जावेद आलम को फोन कर रक्तदान के लिए सदर अस्पताल बुलाया।

डॉक्टर से कर बैठे जिद

जावेद इस समय रोजे कर रहे हैं। कॉल पर कुछ पल तो वे दुविधा में रहे, पर निर्णय लिया कि मजहब ने ही सिखाया है कि पहले इंसानियत का फर्ज निभाओ। वे तुरंत अस्पताल पहुंच गए। यह जानकर कि वे रोजे से हैं डॉक्टर ने रक्त लेने से इन्कार कर दिया। लेकिन, रक्तदान की जिद पर अड़े रहे जावेद तो पहले कुछ खाने की सलाह दी। इसपर खुदा का ध्यान कर जावेद ने डॉक्टर की सलाह मान जूस आदि पीया और फिर रक्तदान कर थैलेसीमिया पीडि़त बच्‍चे की जान बचाई।

अब बच्‍चे की हालत में सुधार

पवित्र माहे रमजान में जावेद को इस नेक काम पर खुदा का साथ मिला तो बच्‍चे की हालत में सुधार हो रहा है। रक्त देने के बाद बातचीत में जावेद आलम ने कहा कि रोजे से ज्यादा बच्‍चे की जान बचाना जरूरी था। हर धर्म में इंसानियत का दर्जा सबसे बड़ा है।

गंभीर बीमारी है थैलेसीमिया

यह एक आनुवांंशिक रक्त रोग है। इसमें शरीर में खून की कमी होने लगती है। इस बीमारी का पूर्ण इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट है, जो काफी महंगा है। ऐसे में रोगी की जान बचाने के लिए उसे 15 से 30 दिनों में रक्त चढ़ाना पड़ता है। दुनिया में हर साल करीब एक लाख बच्‍चे इस रोग के साथ जन्म लेते हैं। इनमें 10 फीसद बच्‍चे भारत में जन्म लेते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.