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गोपालगंज की महिलाओं के लिए नजीर बनीं कुचायकोट की मुन्नी

गोपालगज। कुचायकोट प्रखंड क्षेत्र के सिरिसिया गांव की मुन्नी देवी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। गरीबी व तंगहाली में जी रहे परिवार को पति की मौत के बाद मुन्नी देवी ने तीन साल के कठिन संघर्ष के बाद संभाल लिया। जीविका समूह से जुड़कर मुन्नी ने छोटी सी दुकान खोल ली। उसी के बल पर मुन्नी परिवार को संभाल लेने में सफल हो गईं। आज मुन्नी देवी इलाके के लोगों के लिए नजीर बन गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:47 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:47 PM (IST)
गोपालगंज की महिलाओं के लिए नजीर बनीं कुचायकोट की मुन्नी
गोपालगंज की महिलाओं के लिए नजीर बनीं कुचायकोट की मुन्नी

गोपालगज। कुचायकोट प्रखंड क्षेत्र के सिरिसिया गांव की मुन्नी देवी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। गरीबी व तंगहाली में जी रहे परिवार को पति की मौत के बाद मुन्नी देवी ने तीन साल के कठिन संघर्ष के बाद संभाल लिया। जीविका समूह से जुड़कर मुन्नी ने छोटी सी दुकान खोल ली। उसी के बल पर मुन्नी परिवार को संभाल लेने में सफल हो गईं। आज मुन्नी देवी इलाके के लोगों के लिए नजीर बन गई हैं।

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जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर उत्तर कुचायकोट थाना क्षेत्र के छोटे से गांव सिरसिया निवासी मुन्नी देवी के परिवार में वर्षों से शराब का धंधा होता था। मुन्नी के पति शिवम साह भी शराब के धंधे से ही परिवार चलाते थे। वर्ष 2016 के अंतिम महीने में शराब पीने से हुई बीमारी से उनकी मौत हो गई। शिवम साह की मौत के बाद परिवार का बोझ मुन्नी देवी के कंधे पर आ गया। तीन बच्चों का पेट भरने के लिए भी परिवार को जद्दोजहद करना पड़ता था। मुन्नी देवी ने खेतिहर मजदूर के रूप में काम करना प्रारंभ किया। इस मजदूरी से बात नहीं बनी। इस दौरान वर्ष 2018 में मुन्नी देवी की मुलाकात एक जीविका समूह की सदस्य से हुई। समूह की सदस्य के कहने पर मुन्नी देवी ग्रामसभा समूह में शामिल हुईं। कुछ दिनों बाद जीविका की सीआरपी टीम के सर्वे के बाद मुन्नी देवी को ग्राम संगठन से जोड़ा गया तथा उन्हें एसआइएस की राशि से कुछ मदद उपलब्ध कराई गई। आत्मबल की धनी मुन्नी देवी ने उक्त राशि से एक गुमटी बनवाया तथा छोटी सी किराने की दुकान खोल दी। अपनी कड़ी मेहनत और ईमानदारी के चलते मुन्नी देवी की छोटी सी दुकान चल पड़ी। आज मुन्नी देवी इसी दुकान के भरोसे अपने तीन बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हैं। बच्चे अच्छी शिक्षा के लिए कोचिग भी जाते हैं। मुन्नी देवी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते विद्यालय बंद है। ऐसे में बच्चे मोबाइल से घर में ही आनलाइन क्लास करते हैं। वे बताती हैं कि अपनी छोटी सी आमदनी से खर्च के अलावा पैसों की बचत भी करती हैं। महिलाओं के लिए हैं मिसाल

जीविका समूह के प्रखंड को-आर्डिनेटर रजनीश कुमार ने बताया कि जीविका संगठन से जुड़ने के बाद मुन्नी ने अपने परिवार को मुश्किल रास्तों से निकालकर खुशहाली की तरफ लाने का कार्य किया। मुन्नी देवी का जीवन अन्य महिलाओं के लिए भी एक मिसाल हैं।


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