होली मनाने घर लौटे परदेशी, कुनबे में आई बहार
होली पर्व पर कुटुबों का आना क्या हुआ कुनबे में बहार आ गई है।
गोपालगंज : होली पर्व पर कुटुबों का आना क्या हुआ, कुनबे में बहार आ गई है। सबसे ज्यादा खुशी तो घर के बड़े-बुजुर्गो में है, जहां कल तक उनके घर उदास लगते थे, अब बेटा-पतोहू, नात-नतकुन के आ जाने से काफी खुश नजर आने लगे हैं।
उधर प्रवासियों के लिए पर्व पर अपने घर आना तो जैसे अपनी पुरानी स्मृति में लौट आना है। वे जब अपने पास-पड़ोस में बैठकर बातचीत का सिलसिला शुरू करते है तो उसमें गांव घरों के गाय-भैंस, नाद-खूंटा से लगायत खेत-खलिहान व बाग पोखरों तक की स्मृतियां जीवंत हो उठती है। वहीं अपने मम्मी-पापा की ऊंची ख्वाहिशों तले दबे रहने वाले शहरुआ बच्चे, गांव-देहात के नए संघतियों संग मिलकर गांव की होली मनाएंगे। घर लौटे छोटे-छोटे बच्चों के सामने मानो बहार ही आ गई है। सुबह सोकर जगने के बाद बच्चे माचिस के खाली डिब्बों से रेलगाड़ियां बनाने व बांस की बनी पिचकारी को तैयार करने में इस कदर व्यस्त हैं, कि उन्हें खाने पीने तक की भी सुध नहीं है। 80 वर्षीय रामनरेश पाण्डेय कहते हैं कि होली भारतीय संस्कृति का पर्व है। इस पर्व को गांवों में मनाने का अलग ही उल्लास है। पर्व के दौरान बड़े बुजुर्ग से लेकर युवा व बच्चे पूरी तरह से रंगों में सराबोर होते हैं। होलिका दहन की तैयारियां जोरों पर
गोपालगंज : गांवों में होलिका दहन की तैयारियां भी तेज हो गई है। पर्व के चार दिन पूर्व ही लोग गांव के बाहर स्थापित किए गए होलिका दहन स्थल पर जलावन के साथ ही पत्तों तथा सूखे घास व फूस को रखना शुरू कर दिया है। बाहर से होली का पर्व मनाने पहुंचे बच्चों में पर्व को लेकर अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है।