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हिदी का नाम, पर अब भी अंग्रेजी में होता काम

राजभाषा हिदी के इस्तेमाल को लेकर कागजों और दीवारों पर चाहे जितने दावे और वादे कर लिए जाएं लेकिन केंद्र सरकार के कार्यालयों में इसकी हकीकत निराश करने वाली ही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 04:38 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 04:38 PM (IST)
हिदी का नाम, पर अब भी अंग्रेजी में होता काम
हिदी का नाम, पर अब भी अंग्रेजी में होता काम

जागरण संवाददाता, गोपालगंज : राजभाषा हिदी के इस्तेमाल को लेकर कागजों और दीवारों पर चाहे जितने दावे और वादे कर लिए जाएं लेकिन केंद्र सरकार के कार्यालयों में इसकी हकीकत निराश करने वाली ही है। रेलवे को छोड़कर किसी भी केंद्र सरकार के कार्यालय में न तो कोई प्रयास दिखा रहा है और न ही चिता। हिदी दिवस के मद्देनजर कुछ केंद्रीय कार्यालयों की पड़ताल में यह सच सामने आया है।

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हिदी दिवस के मौके पर जब केंद्रीय कार्यालयों में कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त की गई तो यह बात सामने आई कि इन कार्यालयों में तैनात वहीं कर्मी हिदी में काम करते हैं, जिन्हें अंग्रेजी का ज्ञान कम है। ऐसे कर्मचारियों के लिए हिदी के प्रयोग को लेकर उनकी सहूलियत तब दिक्कत सबब बन जाती है, जब उच्चाधिकारियों का कोई कागजी दिशा-निर्देश उन्हें अंग्रेजी में मिल जाता है। ऐसे में अगर बहुत जरूरी हुआ तो कर्मचारी अंग्रेजी जानने वाले लोगों का सहारा लेते हैं और यदि जरूरी नहीं है तो वह दिशा-निर्देश अलमारी का हिस्सा बनकर रह जाता है। जब बीएसएनएल कार्यालय में हिदी के प्रयोग के बारे में जानकारी प्राप्त की गई तो पाया गया कि यहां हिदी के प्रचार-प्रसार का दावा तो बहुत किया जाता रहा है लेकिन कर्मचारियों के टेबल पर फैले कागजात अंग्रेजी में ही दिखे। पूछने पर दो-टूक सवाल भरा जवाब मिला, जब कागज कंप्यूटर से निकला है तो हिदी में कैसे हो सकता है? डाक विभाग की भी कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिल रहा है। इस विभाग में आने वाले सभी परिपत्र अंग्रेजी में होते हैं, जो ज्यादातर कर्मचारियों को समझ में नहीं आते। ऐसे में तमाम प्रपत्र अलमारी की शोभा बन जाते हैं। कुछ ऐसी ही व्यवस्था जिला निर्वाचन कार्यालय में देखने को मिली, जहां भारत निर्वाचन आयोग के अधिकांश पत्र अंग्रेजी में ही आते हैं। हां, रेलवे स्टेशनों पर ही हिदी में कार्य करते कर्मी जरूर दिखते हैं।

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द्विभाषी फार्म महज औपचारिकता

गोपालगंज : केंद्र सरकार या उसके उपक्रम वाले संस्थानों में जनता की जरुरत के जो फार्म उपलब्ध कराए जाते हैं, वह कहने को अंग्रेजी और हिदी दोनों भाषाओं में हैं। लेकिन उनका द्विभाषी होना महज औपचारिक है। वजह इसमें हिदी के उन कठिन शब्दों का इस्तेमाल है जो आम बोलचाल की भाषा से कोसों दूर है। इसकी वजह जानने के लिए जब तकनीकी विशेषज्ञों से बात की गई तो उन्होंने जो कारण बताया, बेहद अजीब और हिदी को लेकर गैर-जिम्मेदाराना लगा। विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी फार्म को पहले अंग्रेजी में तैयार किया जाता है और तकनीकी प्रक्रिया से हिदी में अनुवाद कर दिया जाता है। ऐसे अनुवाद में हिदी के वह शब्द आ जाते हैं, जो आम बोलचाल में इस्तेमाल नहीं होते। नतीजतन जिसको थोड़ी-बहुत भी अंग्रेजी आती है, फार्म में लिखे हिदी पर नजर भी नहीं डालता।


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