यहां जीविका का हाथ थाम महिलाएं संवार रही अपना जीवन
लिस्ट लंबी है। पर, बात मीना देवी से शुरू करते हैं। बैकुंठपुर प्रखंड के दिघवा उत्तर पंचायत के मठिया गांव की निवासी मीना देवी के पति मछली मार कर किसी तरह से अपनी घर गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे।
गोपालगंज। लिस्ट लंबी है। पर, बात मीना देवी से शुरू करते हैं। बैकुंठपुर प्रखंड के दिघवा उत्तर पंचायत के मठिया गांव की निवासी मीना देवी के पति मछली मार कर किसी तरह से अपनी घर गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे। न बच्चों के तन पर ठीक से कपड़ा और ना ही दो जून के लिए राशन की व्यवस्था हो पाती थी। ऐसी ही स्थिति इस गांव की निवासी कांति देवी, कमली देवी, शनिचरी देवी, दौलाती देवी, देवांती देवी.. सहित अधिकांश के घरों की थी। पति मेहनत मजदूरी करते थे तथा महिलाएं घर तक ही सिमटी रहती थीं। लेकिन अब इस गांव की तस्वीर दूसरी है। इस गांव की महिलाएं विकास की कहानी लिख रही हैं। इन महिलाओं ने पहले जीविका समूह से जुड़ कर काम धंधा करने का हुनर सीखा। फिर समूह बनाकर स्वावलंबी बनने की राह पर निकल पड़ी। वैसे मठिया गांव तो एक उदाहरण है। जिले में अब गांव-गांव में महिलाएं स्वरोजगार अपनाकर अपने घर परिवार से लेकर अपने गांव की तकदीर बदल रही हैं। करीब 2300 जीविका समूह के माध्यम से महिलाएं अब स्वरोजगार कर खुद परिवार की आर्थिक स्थित में सुधार करने में जुटी हैं।
जिले में जीविका योजना अब रफ्तार पकड़ने लगी है। जीविका के माध्यम से गांवों के अति गरीब महिलाओं के हजारों समूह बनाए गए हैं। इनको विभिन्न तरह का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार लायक बनाया जा रहा है। समूहों को बकरी, गाय, भैंस एवं मुर्गी पालन से लेकर अगरबत्ती, मसाला, दउरी बनाने आदि का प्रशिक्षण देकर उन्हें घर पर ही अपना कारोबार स्थापित करने के लिए बैंकों से ऋण दे दिया गया है। जीविका के आंकड़े बताते हैं कि जिले के हर गांव में जीविका समूह की बन चुका है। इन समूह के माध्यम से पूरे जिले में 25 हजार से अधिक महिलाएं प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार से जुड़ चुकी हैं। महिलाओं के स्वरोजगार के लिए आगे जाने को देखते हुए अब इस साल स्वावलंबी बनने वाली महिलाओं का आंकड़ा डेढ़ लाख से पार होने की उम्मीद दिखने लगी है। जीविका के माध्यम से महिलाओं को स्वावलंबी बनने की दिशा में प्रयास भी तेज हो गए हैं। इस साल काम में और आएगी तेजी
जिले में स्वयं सहायता समूह एवं संयुक्त देयता समूह योजना भी लोगों को स्वावलंबी बनने की राह आसान कर रही है। इसके माध्यम से गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा करीब डेढ़ हजार समूहों का गठन किया गया है। इसके माध्यम से लघु तथा कुटीर उद्योगों की स्थापना कर गांवों की महिलाएं आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं। संयुक्त देयता समूह को ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस साल इस काम में और तेजी आने की उम्मीद है। नाबार्ड की योजनाएं भी आसान कर रहीं हैं राह
नाबार्ड की योजनाएं भी स्वावलंबी बनाने की राह आसान कर रही हैं। नाबार्ड के माध्यम से भी कृषि तथा अन्य क्षेत्र में ऋण दिलाकर शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने की कोशिश जारी है। अंडा उत्पादन की आठ योजनाएं जिले में चल रही हैं। इस साल इस काम में और तेजी आने की उम्मीद है। पलायन पर लगाम लगा रही मनरेगा
गोपालगंज : रोजी रोजगार के लिए बाहर पलायन करने की मजबूरी अब कम हो गई। मनरेगा के माध्यम से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को गांव तथा पंचायत में ही काम उपलब्ध कराने में तेजी आई है। हालांकि जॉब कार्ड धारकों को अभी भी सौ दिन का काम नहीं मिल पा रहा है। लेकिन इस दिशा में इस वित्तीय वर्ष में रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काफी सुधार हुआ है। विभागीय आंकड़े बताते हैं कि इस वित्तीय वर्ष में 33 हजार 650 हाउस होल्ड को काम उपलब्ध कराया गया।