गोपालगंज से केवल एक बार ही जीत सका राजद, उप चुनाव में सहानुभूति कार्ड से सेंध लगाने की तैयारी
इस बार गोपालगंज सीट के लिए उपचुनाव में मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। इस सीट के खास होने का कारण यह भी है यहां से जीतने वाले दो नेता बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं।
मनीष कुमार, गोपालगंज : पूर्व मंत्री सह तत्कालीन विधायक सुबाष सिंह के निधन के बाद खाली पड़ी गोपालगंज विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की डुगडुगी बज गई है। इस सीट पर दूसरी बार उपचुनाव होगा। इससे पूर्व 1961 में उपचुनाव हो चुका है। उस समय कांग्रेस के सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने बाजी मारी थी। इस बार उपचुनाव में मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। पूर्व मुख्यमंत्री सह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का गृह जिला होने के चलते गोपालगंज विधानसभा सीट काफी अहम है। इस सीट के खास होने का कारण यह भी है यहां से जीतने वाले दो नेता बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं। अब्दुल गफूर और सत्येन्द्र नारायण सिन्हा बिहार के मुख्यमंत्री पद की शोभा बढ़ा चुके हैं। यही कारण है कि पूरे प्रदेश की नजर इस सीट पर रहती है।
राजद को इस सीट पर सिर्फ एक बार साधु यादव ने दिलाई जीत
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का गृह जिला होने के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल को इस सीट से सिर्फ एक बार ही जीत मिली है। 2000 के विधानसभा चुनाव में गोपालगंज सीट से राजद के टिकट पर लालू प्रसाद यादव के साले अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव को यहां से विधायक बनने का सौभाग्य मिला।
त्रिकोणीय मुकाबले में सहानुभूति कार्ड से सेंध लगाने की तैयारी
उपचुनाव में गोपालगंज विधानसभा की सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। भाजपा से पूर्व मंत्री एवं इस सीट से विधायक रहे स्व. सुबाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी का टिकट तय माना जा रहा है। पांच सितंबर से कुसुम देवी क्षेत्र में आशीर्वाद यात्रा कर रही हैं। आशीर्वाद यात्रा से पूर्व उनके घर भाजपा के कई दिग्गज नेताओं का आगमन हो चुका है। सहानुभूति के सहारे भाजपा इस सीट पर सेंध लगाने की तैयारी में है। उधर, बहुजन समाज पार्टी से पूर्व सांसद अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव का टिकट भी लगभग तय है। सत्तारूढ़ महागठबंधन में सीट किसके खाते में जाएगी, यह अभी तय नहीं है। पिछले चुनाव में इस सीट पर महागठबंधन से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतारा था। 24 सितंबर को लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव बतौर उप मुख्यमंत्री गोपालगंज पहुंचे थे। यहां उन्होंने जिले के लिए 600 करोड़ की सौगात दी थी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि महागठबंधन से राजद गोपालगंज विधानसभा सीट के लिए प्रबल दावेदार है।
पिछले चार चुनावों से इस सीट पर भाजपा का कब्जा
गोपालगंज विधानसभा सीट पर 2005 (अक्टूबर) से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। लगातार चार बार इस सीट से सुबाष सिंह ने भाजपा को जीत दिलाई थी। अब भाजपा लगातार पांचवीं बार सहानुभूति कार्ड के सहारे गोपालगंज विधानसभा की सीट पर कब्जा जमाने का दावा कर रही है।
पिछले चुनाव से इस बार समीकरण है अलग
पिछले चुनाव में एनडीए के साथ रहने वाली जनता दल (यूनाइटेड) इस बार महागठबंधन में है। ऐसे में महागठबंधन से राजद, जदयू व कांग्रेस, तीनों ही इस पर टिकट लेने के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं। कांग्रेस ने बैठक कर दावा किया उनके पास जीत दिलाने वाले एवं सक्षम उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त है। बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद के साथ ही जदयू भी जमीनी स्तर पर तैयारी में जुटी हुई है।