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दम तोड़ते गए बच्चे, डबडबाई आखों से बेड पर पड़े देखती रहीं सुंगाती

गोपालगंज। शहर के हजियापुर वार्ड संख्या आठ के मुसहर टोली में शुक्रवार को लगी आग में झुलसी सुगांती और उनके चार बच्चों की जान बचाने के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में चिकत्सकों की टीम कोशिश करती रही।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 09:24 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 09:24 PM (IST)
दम तोड़ते गए बच्चे, डबडबाई आखों से बेड पर पड़े देखती रहीं सुंगाती
दम तोड़ते गए बच्चे, डबडबाई आखों से बेड पर पड़े देखती रहीं सुंगाती

गोपालगंज। शहर के हजियापुर वार्ड संख्या आठ के मुसहर टोली में शुक्रवार को लगी आग में झुलसी सुगांती और उनके चार बच्चों की जान बचाने के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में चिकत्सकों की टीम कोशिश करती रही। लेकिन चिकित्साकों के काफी प्रयास के बाद भी तीन बच्चों को नहीं बचाया जा सका। एक-एक कर तीन बच्चों ने दम तोड़ दिया। बच्चों के बगल के बेड पर खुद आग से झुलसी के कारण कराह रहीं सुगांती देवी डबबाई आखों से अपने बच्चों को दम तोड़ते हुए देखती रह गईं। तीन बच्चों की मौत से हजियापुर मुसहर टोली का माहौल गमगीन हो गया है। दर्दनाक हादसे के बाद इस टोले के घरों में शनिवार को चूल्हे नहीं जले। लोग सुगंती देवी और इस परिवार में बची इनकी एक मात्र बेटी के स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं। हजियापुर के मुसहर टोली निवासी दिनेश रावत की बहन सुंगाती देवी की शादी दस साल पूर्व बेतिया जिले के मझवलिा गांव निवासी हरेंद्र मांझी से हुई। शादी के बाद संगांती देवी अपनी ससुराल चली गईं। सुगांती देवी के पति अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए रिक्शा चलाने लगे। इसके बाद भी दो जून भोजन नसीब नहीं होने पर ये रिक्शा चलाने बाहर चले गए। पति के बाहर जाने के बाद चार साल पहले सुगांती देवी अपने मायके चली आईं। भाई ने सड़क किनारे बनी अपनी झोपड़ी के बगल में इनके लिए भी एक झोपड़ी बना दी। बीच-बीच में हरेंद्र मांझी अपनी पत्नी से मिलने आते रहते। इस बीच इनकी दो पुत्री और दो पुत्र हुए। शुक्रवार की रात अपने बच्चों के साथ सुगांती देवी अपनी झोपड़ी में सोने चली गईं। लेकिन इसी बीच मच्छर काटने से बच्चों को नींद नहीं आ रही थी जिसे देखकर सुगांती देवी ने रात के नौ बच्चे किराने की दुकान से कॉयल खरीदी और इसे जलाकर सो गईं। इसी बीच रात के 10.50 मिनट पर इनकी झोपड़ी में सुलगती कॉयल से आग लग गई। लेकिन गहरी नींद में होने के कारण बच्चों और सुगांती देवी को आग लगने का पता नहीं चल सका। धुंआ और आग की ताप सेजब इनकी नींद खुली तब तक देर हो चुकी थी। अचानक जलती झोपड़ी उनके और उनके बच्चों के ऊपर गिर गई जिससे सुगांती देवी तथा बच्चे बुरी तरह से झुलस गए। किसी तरफ सुंगाती देवी अपनी दस साल की बेटी मनीषा कुमारी को गोद में उठाकर बाहर निकलीं। तब तक आसपास के लोगों की वहां भीड़ गई थी। लोग बगल की नाली के पानी से आग बुझाने में जुट गए। आग में झुलसने से तड़प रहीं सुंगाती देवी को अचानक अपने तीन बच्चों के आग में फंसे होने का ध्यान आया। वे जोर-जोर से चिल्लाने लगीं। राख के ढेर के बीच खोज कर बुरी तरह से झुलस गए तीनों बच्चों निकाला गया और एक बाइक पर बैठाकर एक बच्चे को सदर अस्पताल ले जाया गया। सूचना मिलने पर एंबुलेंस के साथ पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारी मौके पर पहुंच गए। आनन-फानन में गंभीर रूप से झुलसी सुगांती देवी और उनके तीन बच्चों को एंबुलेंस से सदर अस्पताल ले जाया गया। तब तक चिकित्सक की टीम भी वहां तैयार हो गई थी। इमरजेंसी कक्ष में सुंगाती देवी तथा उनके चारों बच्चों को अगल-बगल के बेड पर लिटाकर इलाज शुरू किया गया। लेकिन चिकित्सक तीन बच्चों को बचा नहीं सके। एक-एक कर तीन बच्चों ने दम तोड़ दिया। मैसेज से दी गई डीएम को सूचना, तत्काल सक्रिय हो गया प्रशासन :

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गोपालगंज : हजियापुर मुसहर टोली में सुगांदी देवी की झोपड़ी में आग लगने के बाद इस टोली में अफरातफरी मच गई। जिसके हाथ में जो बर्तन आया उसी से लोग नाली से पानी निकाल कर आग बुझाने में जुट गए। दस मिनट में लोगों ने आग पर काबू पा लिया। लेकिन तक तक सुांगती देवी और उनके चारों बच्चे बुरी तरह से झुलस गए थे। लेकिन आग से झुलसे बच्चों और महिला को कैसे अस्तपाल ले जाया जाए, यह किसी को समझ में नहीं आ रहा था। इसी बीच किसी ने जिलाधिकारी अनिमेष कुमार पराशर के मोबाइल पर हजियापुर में आग लगने का मैसेज भेजा। मैसेज पर डीएम ने तत्काल एक्शन लिया। मैसेज करने के पांच मिनट के अंदर दो एंबुलेंस के साथ पुलिस तथा प्रशासनिक पदाधिकारी मौके पर पहुंच गए। लेकिन तब तक गंभीर रूप से झुलसे एक बच्चे को बाइक से एक युवक सदर अस्पताल लेकर जा चुका था। सुगांती देवी और उनके अन्य तीन बच्चों को एंबुलेंस से तत्काल सदर अस्पताल ले जाएगा। डीएम के निर्देश पर सदर अस्पताल में चिकित्सकों की टीम भी तैयार थी। आग से झुलसी महिला तथा इनके बच्चों के अस्पताल पहुंचते ही इमरजेंसी कक्ष में इलाज शुरू हो गया। इलाज के दौरान तीन बच्चों ने एक-एक कर दम तोड़ दिया। लोगों ने बताया कि समय रहते प्रशासनिक मदद मिलने से सुंगाती देवी और उनकी एकमात्र बची बेटी की जान बच गई। घटना का टाइम लाइन :

8.00 बजे अपने बच्चों के साथ खाना खाने के बाद झोपड़ी में सोने चली गई सुगंती देवी ।

9.00 बजे बच्चों को मच्छर से बचाने के लिए दुकान से कॉयल खरीदी।

9:30 बजे सुगांती देवी और बच्चे गहरी नींद में सो गए।

10.00 बजे रात्रि में कॉयल से झोपड़ी में लगी आग।

10:50 बजे जलने लगी झोपड़ी।

11:20 बजे आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और आग पर काबू पाया।

11:30 बजे झुलसे एक बच्चे को बाइक से अस्पताल लाया गया।

11:35 बजे सदर अस्पताल से दो एंबुलेंस पहुंची।

11 :40 झुलसे बच्चे व महिला का इलाज शुरू हुआ।

11 : 55 बजे सिविल सर्जन भी अस्पताल पहुंच गए।

12:00 बजे एक बच्चे की मौत हो गई।

12:10 में बीडीओ, सीओ व नगर इंस्पेक्टर सदर अस्पताल पहुंचे।

12:55 बजे दूसरे बच्चे की मौत हो गई।

2:00 बजे तीसरे बच्चों ने दम तोड़ा।


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