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उद्धारक का इतंजार कर रही अस्तित्व खोती छाड़ी

गोपालगंज शहर के बीचोबीच से गुजर रही छाड़ी नदी पिछले कई सालों से अपने उद्धारक का इंतजार कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 05:33 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 05:33 PM (IST)
उद्धारक का इतंजार कर रही अस्तित्व खोती छाड़ी
उद्धारक का इतंजार कर रही अस्तित्व खोती छाड़ी

गोपालगंज : गोपालगंज शहर के बीचोबीच से गुजर रही छाड़ी नदी पिछले कई सालों से अपने उद्धारक का इंतजार कर रही है। अस्तित्व खो रही इस नदी की दशा सुधारने के लिए छाड़ी नदी संघर्ष समिति बनाकर शहरवासी कई बार सड़क पर उतरे। पदयात्रा से लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। छाड़ी का कायाकल्प करने की योजना भी बनाई गई। लेकिन इस योजना पर आज तक न अमल किया गया और ना ही छाड़ी नदी कभी चुनावी मुद्दा बन सकी। लोगों के सड़क पर उतरने के बाद भी चुनावी मैदान में उतरने वाले किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक हुए चुनावों में छाड़ी नदी को लेकर कोई वादा किया।

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कभी छाड़ी नदी में कलकल पानी बहता था। इस नदी के पानी को लोग अपने घरेलू कार्यों में इस्तेमाल करते थे। तब नदी के दोनों किनारों की छटा देखते बनती थी। इस नदी में गंडक नदी का पानी प्रवाहित होता था। लेकिन इसी बीच साल 2004 में गंडक नदी में ऊफान से बाढ़ का पानी शहर में फैल गया। बाढ़ से शहर को बचाने के लिए जिला प्रशासन ने हीरापकड़ में बने स्लूइस गेट को बंद करा दिया। स्लूइस गेट बंद होने से गंडक नदी के पानी का छाड़ी नदी में आना बंद हो गया। इसके साथ ही शहरी इलाका बढ़ने से नालियों का मुहाना छाड़ी नदी में खोल दिया गया। समय के साथ शहर के चिराई घर से लेकर कैथवलिया दाल फैक्ट्री तक नदी के किनारों को अतिक्रमण कर लिया। ऐसे में कभी कलकल बहने वाली यह नदी अब नाला में तब्दील होकर अपने अस्तित्व को खोने के कगार पर पहुंच गई है। फाइलों में दब गई कायाकल्प करने की योजना

छाड़ी नदी का अस्तित्व बचाने के लिए नगर परिषद ने इस नदी का कायाकल्प करने की योजना भी बनाई। इस योजना के तहत स्लूइस गेट खोल कर गंडक नदी का पानी फिर से प्रवाहित किया जाना था। इसके साथ ही नदी के किनारे पॉर्क बनाया जाना था। नदी में नौकायन की भी व्यवस्था करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इस योजना पर अमल करने की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं किया गया।

फोटो फाइल : 5 जीपीएल 10

छाड़ी नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है। यह नदी नाला में तब्दील हो गई है। नदी की दशा सुधारने के लिए संघर्ष समिति काफी समय से आंदोलन कर रही है। पदयात्रा से लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। जब तक नदी की दशा सुधारने की दिशा में काम नहीं किया जाता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

प्रत्युष कुमार प्रवीण, संघर्ष समिति के अध्यक्ष ---------------------

छाड़ी नदी का कायाकल्प करने की योजना तैयार कर प्रस्ताव जल संसाधन विभाग को भेजा गया है। इस संबंध में जलसंसाधन मंत्री तथा सचिव को भी पत्र भेजा गया है। लेकिन भी तक इस योजना की स्वीकृति नहीं मिली है। सांसद व विधायक ने भी कभी यह मामला सदन में नहीं उठाया। अगर बड़े जनप्रतिनिधि पहल करते तो छाड़ी नदी की दशा ऐसी नहीं होती।

हरेंद्र कुमार चौधरी, चेयरमैन, नगर परिषद गोपालगंज


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