पूजते हैं, पर नहीं रखते नदियों का ख्याल
नदियों के प्रति हमारी आस्था तो आज भी बरकरार है। हर मुसीबत से उबारने के लिए गंगा मैया का नाम भी लिया जाता है।
गोपालगंज। नदियों के प्रति हमारी आस्था तो आज भी बरकरार है। हर मुसीबत से उबारने के लिए गंगा मैया का नाम भी लिया जाता है। अपने आसपास की नदियों की तरफ हाथ जोड़ कर गंगा मैया से मनौती अब भी मांगी जाती है और मुसीबत टल जाने पर उसी नदी की पूजा करने का सिलसिला भी जारी है। लेकिन जिन नदियों को लोग पूजते हैं, उसी में कचरा फेंकने में भी संकोच नहीं करते। ऐसे में कभी कलकल बहती कुछ नदियां अब नाले में तब्दील हो गई हैं, तो कुछ इसी दिशा की तरफ बढ़ रही हैं। कचरे और नालों का गंदा पानी ढोते-ढोते यहां की नदियां किस दशा में पहुंच गई हैं, इसका अंदाजा शहर के बीचो-बीच से गुजरने वाली छाड़ी नदी को देखकर ही लगाया जा सकता है। कचरे से पटी यह नदी अतिक्रमण की भी शिकार है। अब तो बाहर से आने वाला कोई शख्स इस नदी को देखकर कोई बड़ा नाला ही समझ बैठता है।
वैसे साल में दो बार छठ पर्व के मौके पर व्यापक पैमाने पर इसकी सफाई करने के लिए प्रशासन से लेकर लोगों के कदम इसकी ओर बढ़ जाते हैं। साल में छठ के मौके पर इसके किनारों को सजाया जाता है। लेकिन इस नदी की यह पूछ भी इसलिए नहीं होती कि इन मौके पर लोग नदी के संरक्षण के बारे में सोचने लगते हैं, बल्कि यह तो छठी मईया की कृपा है। छठी मईया की कृपा व जिनका आर्शीवाद पाने के लिए लोग नदी घाट पर उनकी पूजा करने आते हैं। हां, इसका लाभ अनजाने में ही उन नदियों को भी मिल जाता है, जो अपने ही भक्तों से अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही हैं। आदेश बेअसर, नहीं खुला मुहाना
गोपालगंज : शहर की छाड़ी नदी के बंद पड़े मुहाने को खोलने की दिशा में वर्ष 2013 में कार्रवाई शुरू की गई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी ने बाढ़ नियंत्रण विभाग को इस दिशा में निर्देश भी दिया था। ताकि गंडक नदी से पानी आने के कारण नाले में तब्दील हो चुकी इस नदी में कलकल पानी फिर बहने लगे। लेकिन अबतक इस दिशा में कोई भी कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकी है। नदी तट की सफाई की योजना संचिका में
गोपालगंज : करीब दो साल पूर्व शहर के बीचोबीच से होकर गुजरने वाली छाड़ी नदी के दोनों किनारों को साफ बनाने की योजना बनी थी। इसके तहत नदी के दोनों तटबंध पर पक्की सड़क बनाने से लेकर एलईडी लाइट तक लगाने की कवायद की कई थी। लंबी अवधि बीतने के बाद भी नदी के तटबंध को दुरुस्त किए जाने की कवायद प्रारंभ नहीं हो सकी है। ऐसे में अपने अस्तित्व से लड़ रही इस नदी को बचाने की दिशा में कवायद तत्काल प्रारंभ करने की जरूरत है। अगर इस दिशा में अविलंब कार्य नहीं हुआ तो इस नदी को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। जलकुंभी से पटी नदी
गोपालगंज : आज शहर के बीच से होकर गुजरने वाली नदी जलकुंभी व कचरे से इस कदर पट चुकी है कि नदी को कई हिस्सों में पानी ही नजर नहीं आता। नदी की जलकुंभी के हटाने की दिशा में अबतक कोई भी कवायद शुरू नहीं किया जा सकी है। यह स्थिति तब है जबकि आठ दिन बाद ही तीन दिनों तक चलने वाला सूर्योपासना का महापर्व प्रारंभ होने वाला है।