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संकटकाल में स्वाबलंबी बन सरकार की मदद कर रहीं महिलाएं

-कोरोना योद्धाओं के साथ ही हम सबके लिए बना रहीं मास्क -बाराचट्टी प्रखंड में दस केंद्रों पर 115 महिलाएं और पाच प्रवासी पुरुष बना रहे मास्क ----------- -50 मास्क छह घंटे में बना रही एक महिला -05 रुपये मिलते हैं एक मास्क के प्रतिदिन कमाती है ढाई सौ रुपये --------------

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 10:07 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:15 AM (IST)
संकटकाल में स्वाबलंबी बन सरकार की मदद कर रहीं महिलाएं
संकटकाल में स्वाबलंबी बन सरकार की मदद कर रहीं महिलाएं

अमित कुमार सिंह, बाराचट्टी (गया)

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कोरोना काल में पुलिसकर्मी, डॉक्टर, सफाईकर्मी व अन्य योद्धा जी-जान से समाज की सेवा में जुटे हैं। उन्हें मास्क की जरूरत है। प्रदेशों से आए प्रवासियों के साथ हमें और आपको भी मास्क पहना अत्यावश्यक है। सभी की जरूरतों को पूरा करने में जीविका दीदी लगी हैं। संकटकाल में वह न सिर्फ सरकार को सहयोग कर रही हैं, बल्कि मास्क बनाकर अपनी और समाज की अन्य महिलाओं की आर्थिक दशा सुधारने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

जिले के बाराचट्टी प्रखंड के अमृत जीविका महिला संकुल स्तरीय संघ सरमा के अध्यक्ष सुनीता देवी, सचिव रूबी त्रिपाठी के सहयोग से यह सब संभव हो रहा है।

सुनीता देवी और रूबी त्रिपाठी बताती हैं, जीविका के परियोजना प्रबंधक अजय मिश्र ने हमलोगों को मास्क बनाने के लिए प्रेरित किया। सभी दस केंद्रों पर कार्य की शुरुआत कराए हैं। इन केंद्रों पर 115 महिलाएं और पाच प्रवासी पुरुष मास्क बनाने का काम कर रहे हैं। प्रति मास्क बनाने के पाच रुपये दिए जाते हैं। एक महिला एक दिन में छह घटे काम कर 50 मास्क बनाती हैं। ऐसे में वे ढाई सौ रुपये प्रतिदिन की कमा लेती हैं।

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14 रुपये प्रति मास्क की बिक्री

जीविका के नोडल पदाधिकारी गुरुदायल कुमार, अमिता कुमारी, सामुदायिक समन्वयक अनिल कुमार, रविंद्र कुमार मास्क की बिक्री करने में जुटे हैं। ये बताते हैं, ग्राम पंचायत को प्रति मास्क चौदह रुपये के हिसाब से बेचेंगे। इसके लिए जिला पदाधिकारी का भी सहयोग मिल रहा है। मास्क बनाने के समय सभी महिलाएं शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रखती हैं।

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कोरोना काल में महिलाओं

की जमा पूंजी सार्थक

गाव स्तर पर बने महिला समूह के एक-एक रुपये आज लाखों की जमा पूंजी हो गई है। कोरोना काल में इसी पूंजी से लोगों को रोजगार मिल रहे हैं। मास्क बनाकर सब खुश हैं। लगन और उम्मीद के साथ कार्य को अंजाम दे रहे हैं।

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उम्मीद नहीं थी, लॉकडाउन

में मिलेगा रोजगार

मास्क बना रही संजू देवी दहियार, सुबी देवी, चाद तार सरमा, मनोरमा देवी और भगवती कहती हैं, पहली बार लॉकडाउन हुआ तो लगा कि कुछ दिन सब कुछ सामान्य हो जाएगा। यह बढ़ने लगा तो आर्थिक स्थिति चरमरा गई। इस बीच जीविका के पदाधिकारियों ने संघ में जमा पैसे से कपड़े खरीदकर मास्क बनाने को कहा तो उम्मीद जगी। आज मास्क बनाकर दो पैसे की आमदनी कर रहे हैं।


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