Move to Jagran APP

सत्कार व सम्मान के साथ महिलाओं की सुरक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक साल में आधी आबादी (महिला) के सत्कार,सम्मान और सुरक्षा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 May 2017 07:37 PM (IST)Updated: Sun, 14 May 2017 07:37 PM (IST)
सत्कार व सम्मान के साथ महिलाओं की सुरक्षा
सत्कार व सम्मान के साथ महिलाओं की सुरक्षा

गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक साल में आधी आबादी (महिला) के सत्कार,सम्मान और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है। कहते है कि आधी आबादी सुरक्षित रहेगी तभी घर, समाज, राज्य और देश का भला होगा। शायद इसी का ख्याल रखते हुए प्रधानमंत्री ने उज्जवला योजना शुरू की थी। इस योजना में विशेषकर ग्रामीण इलाके में व्यापक बदलाव दिख रहा है। इसी का प्रतिफल है कि 24 प्रखंडों में वाले गया जिले में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में 68555 महिलाओं को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया गया है। गैस कनेक्शन पाने वाली महिलाओं के घरों में अब अंगेठी नहीं जलती है। उन घरों की महिलाएं प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए गैस कनेक्शन पर खाना पका कर परिवार को परोसती है। जिसे पूरा परिवार एक साथ बैठक कर गैस पर पकाए हुए भोजन का आंनद ले रहे है। यह निश्चित तौर पर महिलाओं का सम्मान बढ़ा है।

loksabha election banner

अब ऐसे घरों की महिलाएं अपने बच्चों व परिवार को छोड़कर जंगलों में लकड़ी चुनने के लिए नहीं जाती है। पहले जब उन्हें प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन नहीं दिया गया था। तब वैसी महिलाएं गर्मी, बरसात और फिर सर्दी के मौसम में घर के लिए जलावन संग्रह हेतु जंगलों में निकलती थी। ऐसे में उन महिलाओं को मानसिक, शारीरिक रूप से परेशानी झेलनी पड़ती थी। विशेषकर बारिश के दिनों में 'सूखे हुए जलावन' के कई दिनों तक भटकना पड़ता था। खाना पकाने के ईधन के रूप में लकड़ी, उपले, कृषि कचरे, कोयले इत्यादि जैसे अस्वच्छ परंपरागत जैव इंधन का उपयोग करते थे। इन ईधनों से निकलने वाले जहरीले धुएं में कई विषैलेकण और हानिकारक बीमारियां छुपी होती है। जो न केवल आंखों को नुकसान पहुंचा रही थी। बल्कि इससे दम घुटने और फेफड़े खराब भी हो जाते है, जो क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पुलमोनरी बीमारी और निमोनिया जैसी श्वास संबंधी घातक और लम्बी बीमारी हो रही थी। इससे मुक्ति जरूर मिली है। उन महिलाओं की परेशानी को कम करने के लिए यह महत्वकांक्षी योजना की शुरू हुई। इसका प्रतिफल यहां देखने को मिल रही है।

1 मई 2016 को इस योजना की शुरूआत हुई है। पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ा के अनुसार एक साल में बिहार में 39 लाख 15 हजार 911 आवेदन जमा कराए गए। इन आवेदनों को 1052 गैस वितरकों ने जांच पड़ताल के बाद 27 लाख 76 हजार 21 महिलाओं को गैस कनेक्शन दिया। वहीं अगर गया की बात करें तो यहां 98 हजार 532 आवेदन जमा कराए गए। इसमें से 68555 महिलाओं को पूरे सत्कार व सम्मान के साथ नया कनेक्शन दिया गया।

एक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि घरों में जलने वाली अंगेठी से वायु प्रदूषण के साथ महिलाएं मोतियाबिंद का सबसे ज्यादा शिकार हो रही है। सर्व में यह बताया गया कि एक घर में अगर एक घंटे अंगेठी जलने से 400 सिगरेट के धुंआ के बराबर होती है। घरों में जलने वाली अंगेठी से महिलाओं और परिवार के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। महिलाएं एक साथ कई बीमारी का शिकार हो रही थी। अंगेठी जलाने वाली महिलाएं दमा, खांसी के बीमारी से पीड़ित हो रही थी। लेकिन इस योजना से उन्हें इस तरह की बीमारी से भी मुक्ति दिला दी है। साथ ही वायु प्रदूषण से घर और उसके आसपास के लोगों को छुटकारा मिल गई है।

ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश महिलाएं अशिक्षित और गैस के उपयोग से अनभिज्ञ थे। उनके लिए गैस नई चीजें थीं। उन्हें जागरूक और सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय कई कार्यक्रम चला रही है। इधर कुछ दिनों से यहां उन महिलाओं को पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें नुक्कड़ नाटक, क्षेत्रीय भाषाओं में बातचीत और सुरक्षा क्लिनिकों के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है।

निश्चित रूप से भारत सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना से महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा दोनों मिली है। दिए गए कनेक्शन से वैसे लाभार्थी के घर के आसपास वायु प्रदूषण से मुक्ति मिल गई है। साथ ही घर के अन्य सदस्यों को भी कई घातक बीमारी से आजादी मिली है। जब घर की महिलाएं स्वस्थ्य रहेगी तो समाज और राज्य भी स्वस्थ्य रहेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.