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बिहार में इंसान ही नहीं, कुआं भी है वीआइपी, पंडित नेहरू और राजेंद्र बाबू तक से है इसका कनेक्‍शन

Vip Well of Bihar बोधगया में एक ऐतिहासिक कुआं है। इसका निर्माण भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कराया था। उद्घाटन प्रथम राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था। इस कुएं से आचार्य बिनोबा भावे और श्रीकृष्‍ण सिंह के नाम भी जुड़े हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 10:28 AM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 04:37 PM (IST)
बिहार में इंसान ही नहीं, कुआं भी है वीआइपी, पंडित नेहरू और राजेंद्र बाबू तक से है इसका कनेक्‍शन
बोधगया में स्थित वीआइपी और ऐतिहासिक कुआं। जागरण

विनय कुमार मिश्र, बोधगया (गया) । बोधगया के समन्वय आश्रम की ख्याति देश-विदेश तक है। यहां हर वर्ष विदेशों से आकर भी स्वयंसेवक कार्य करते हैं। इसके संस्थापक भाई द्वारको सुंदरानी अब नहीं रहे। लेकिन आज भी उनके हस्तलिखित गीत, आलेख और इसके अलावा कई ऐसी चीजें हैं जो धरोहर के रूप में याद की जाएगी। यहां एक कुआं है जिसे वीआइपी कुआं कहा जाए तो अति‍श्‍योक्ति नहीं होगी। क्‍योंकि इस कुआं के शिलान्‍यास से लेकर उद्घाटन तक देश की प्रसिद्ध विभूतियों के हाथों हुआ।

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बिनोबा भावे करते थे यहां पर प्रवास

आश्रम की व्यवस्थापिका बहन विमला बताती हैं कि निरंजना नदी के तट पर होने और महाबोधि मंदिर के करीब स्थित इस आश्रम में आचार्य विनोबा जी का प्रवास होता था। सन 1954 की बात है विनोबा जी यहां प्रवास पर थे। तभी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू आए थे। आचार्यजी से मिले। तब विनोबा जी ने नेहरू जी से पक्का कुआं का निर्माण करने को कहा था। विनोबा जी ने कहा था कि पक्का कुआं बनवाकर उसके पास एक आम का पेड़ लगा दिया जाए। ताकि भगवान बुद्ध का दर्शन करने आने वाले लोग पानी पीकर पेड़ की छांव में विश्राम कर सके। नेहरू जी ने अपने पैसे से एक साल के अंदर 80 फीट गहरा और 20 फीट व्‍यास का कुआं खुदवाया और पक्कीकरण करवाया। इसका उद्घाटन प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया।

दो वर्ष पहले तक होता रहा कुएं के पानी का उपयोग

इस कुएं के जल का 2019 तक आश्रम के लोगों ने पीने और सिंचाई करने में इस्तेमाल किया। लेकिन कुआं में लगा मोटर खराब हो गया। हठ के पक्के सुंदरानी जी ने कहा कि जो मोटर लगा है उसे दुरुस्‍त कराकर ही लगाया जाए। लेकिन उस मोटर के कुछ पार्ट्स नहीं मिले, इसके कारण मोटर नही बन सका। नतीज़तन तीन अलग जगहों पर पानी के किए बोरिंग कराया गया। लेकिन पानी नही मिला, बाद में कुआं में बोरिंग करने पर पानी मिला। उसका आज इस्तेमाल किया जा रहा है। फिलहाल कुएं पर लोहे की जाली लगा दी गई है।बहन विमला बताती हैं अब इसमें नया मोटर लगाया जाएगा ताकि पानी का इस्तेमाल किया जा सके। क्योंकि यह कुआं ऐतिहासिक है। अभी भी बरसात के दिनों में कुआं में इतना पानी भर आता है की यूं ही हाथ से निकाल लेते हैं।

प्रथम मुख्‍यमंत्री ने मिट्टी के दो कमरे का कराया निर्माण

इस कुएं के पास बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह ने विनोबा जी से आग्रह कर मिट्टी के दो कमरे का निर्माण कराया गया। ताकि बरसात के दिनों में लोगो को सिर छिपाने की जगह मिल सके। क्योंकि आश्रम परिसर में पक्का निर्माण नहीं करना था। लेकिन बाद में जमना लाल बजाज ने विनोबा जी को कहा कि बरसात के दिनों में आम के पेड़ और मिट्टी के कमरे में लोगों को परेशानी होगी। इसके बाद बजाज की धर्मपत्‍नी ने विनोब जी को 50 हजार रुपये दिए। इससे यहां एक हॉल का निर्माण कराने की बात कही। विनोबा जी ने सुंदरानी जी को बुलाकर इस बात से अवगत कराते हुए पैसे दिए।

25 हजार में बना भवन तो शेष पैसे लौटा दिए

लेकिन हठ के पक्के सुंदरानी जी ने स्पष्ट विनोबा जी को कहा कि आपके आदेश के अनुसार आश्रम परिसर में पक्का निर्माण नहीं होगा, तो फिर यह कैसे? लगभग तीन सालों तक सुंदरानी उस राशि को अपने पास रखे रहे। जमनालाल बार-बार विनोवा जी से कहते रहे सुंदरानी जी निर्माण कार्य नहीं करा रहे हैं। तब विनोबा जी ने सुंदरानी जी को बुलाकर आग्रह भाव से कहा पक्का निर्माण करा दो। जमनालाल बार-बार इस बात के लिए कह रहे हैं। उसके बाद आश्रम में हॉल और कमरे का निर्माण कराया गया। जिसमें कुल लागत 25 हजार रुपये आए। शेष राशि को जमनालाल बजाज को लौटा दिया गया। आज भी वो भवन आश्रम की पहचान है।


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