विभाग के नवउत्थान में विदेशियों ने दिखायी उदारता
गया। मगध विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर बौद्ध अध्ययन विभाग की स्थापना महाबोधि मंदिर सलाहकार समिति
गया। मगध विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर बौद्ध अध्ययन विभाग की स्थापना महाबोधि मंदिर सलाहकार समिति के निर्णय और तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति एआर किदवई के पहल के पर वर्ष 1984 में की गई। प्राचीन भारतीय एवं एशियाई अध्ययन विभाग में स्थापित विभाग के संस्थापक विभागाध्यक्ष दक्षिण पूर्व एशिया व बौद्ध अध्ययन के स्थापित विद्वान डॉ. उपेन्द्र ठाकुर थे। विभागाध्यक्ष डॉ. ठाकुर को बौद्ध देशों में सम्मानित दृष्टि से देखा जाता था। उनकी कई कृतियां आज पाठ्यक्रम में शामिल है। संस्थापक विभागाध्यक्ष ने कई विदेशी भाषाओं की पढ़ाई एशिया हाउस के तहत प्रारंभ करवाया था। जो लंबे समय तक सुचारू रहा। डॉ. ठाकुर के बाद विभाग के जिम्मेवारी तिब्बती मूल के बौद्ध विद्वान डॉ. ए. टुल्कु को दी गई। तत्पश्चात वर्ष 2007 में विद्वान प्राध्यापक डॉ. सुशील कुमार सिंह विभागाध्यक्ष बनाए गए। डॉ. सिंह मविवि के कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक के पद पर भी आसीन रहे। मविवि के विलंबित परीक्षा सत्र को नियमित करने का श्रेय डॉ. सिंह को जाता है।
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नही मिले स्थायी शिक्षक
विभाग में शिक्षकों के स्वीकृत पद पांच हैं। लेकिन स्थापना काल से स्थायी शिक्षक की प्रतिनियुक्ति विभाग में नहीं हुई। शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की कमी पूर्व से है। वर्ष 1987 से एक अंशकालिक प्राध्यापक डॉ. विष्णु शंकर व पांच गेस्ट फैकेल्टी के जिम्मे पठन-पाठन का कार्य संचालित है। यहां तक की वर्तमान में पदासीन विभागाध्यक्ष भी दर्शनशास्त्र विषय की वरीय प्राध्यापिका हैं। नामांकित छात्रों में सर्वाधिक विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षु हैं।
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विदेशियों ने विभाग के प्रति ली रुचि
विभाग के प्रति विदेशियों ने काफी उदारता दिखाई। महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के तत्कालीन सदस्य म्यांमार मूल के भिक्षु भदंत ज्ञानेश्वर महाथेरा व अध्ययनरत विदेशी छात्रों के सहयोग से विभाग का नया आकर्षक भवन बनाया गया। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धारण किए जाने वाले चीवर के रंग में भवन को रंगा गया। अत्याधुनिक संसाधन व वातानुकूलित क्लास रूम से सजे आकर्षक भवन से सटे एक स्तूप व भवन में भव्य साधना कक्ष का निर्माण कराया गया। साधना कक्ष में ध्यान-साधना का विशेष सत्र संचालित किया जाता है।
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आकर्षक पुस्तकालय
विभाग का पुस्तकालय काफी आकर्षक और सुसज्जित है। जिसमें ढाई हजार से अधिक हिन्दी व अंग्रेजी की पुस्तकें और जनरल हैं। पुस्तकालय का लाभ अध्ययनरत छात्र व शोधार्थी उठाते हैं। हालांकि यहां भी अन्य विभागों की भांति पुस्तकालयाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं है। लेकिन अंशकालिक कर्मी इसकी देखरेख गंभीरता से करते हैं।
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कहते हैं विभागाध्यक्ष विभागाध्यक्ष प्रो. नीलिमा सिन्हा कहती है कि यह स्थापित विभाग है। इसकी देश-विदेश में ख्याति है। यहां अध्ययनरत छात्रों में साउथ-ईस्ट एशियाई देशों के अधिक है। विषय के पाठ्यक्रम को हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में पढ़ाया जाता है। शीघ्र ही तिब्बती और पालि भाषा में शुरू करने की योजना है। उन्होंने कहा कि आगामी नवम्बर माह में एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन प्रस्तावित है। जिसमें सात देशों के विद्वानों की सहभागिता होगी। उन्होंने कहा कि नामांकित छात्रों में 80 प्रतिशत की उपस्थिति प्रतिदिन रहती है।