सोनपुर सूर्यमंदिर में ग्रामीण करते हैं छठव्रतियों के लिए व्यवस्था, कभी वाणासुर की राजधानी था सोनितपुर, पढ़ें खबर
सोनपुर का सूर्यमंदिर ख्यात है। जो यमुने नदी के तट पर स्थित है। यह स्थल प्राचीनकाल में सोनितपुर के नाम से जाना जाता था। जो दैत्य साम्राज्य शिवभक्त वाणासुर की राजधानी हुआ करता था। लेकिन वर्तमान परिवेश में वहां अब किले बड़े टीले के रूप में दिखाई पड़ते हैं।
संवाद सूत्र, बेलागंज : लोक आस्था का महान पर्व छठ बिहार-यूपी वासियों के लिए विशेष महत्व रखता है। छठ पर्व में व्रती नदी, तालाबों सहित विभिन्न जलस्रोतों में भगवान भास्कर के उगते एवं डूबते स्वरूप को अर्घ्य देते है। प्रखंड में इसके लिए सोनपुर का सूर्यमंदिर ख्यात है। जो यमुने नदी के तट पर स्थित है। यह स्थल प्राचीनकाल में सोनितपुर के नाम से जाना जाता था। जो दैत्य साम्राज्य शिवभक्त वाणासुर की राजधानी हुआ करता था। लेकिन वर्तमान परिवेश में उक्त स्थल पर अब सिर्फ उक्त साम्राज्य के किले बड़े बड़े टीले के रूप में दिखाई पड़ता है। उसी टीले के पास में अवस्थित है प्राचीन सूर्यमंदिर।
साल में दो बार होने वाले छठ पर्व के अवसर पर लगता है मेला
यहां साल में दो बार होने वाले छठ पर्व के अवसर पर मेला लगता है। यमुना नदी के तट पर स्थित उक्त सूर्यमंदिर में भगवान भास्कर पूर्वमुखी है। जो सात घोड़ों से सजे रथ पर सवार है। उक्त स्थल की महत्ता को देखते हुए आस-पास ही नही प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग इस स्थल पर अपनी मनोकामना के सिद्धि हेतु छठ पूजा का आयोजन करते है। जबकि कुछ वर्ष पूर्व तक उक्त स्थल पर लगने वाले दोनों छठ मेला का सरकारी बंदोबस्ती हुआ करता था। इस दौरान सरकार को राजस्व की प्राप्ति तो हो जाती थी। लेकिन सरकारी स्तर पर मेला में व्यवस्था नगण्य रहती थी।
स्थानीय लोगों ने की है पूजा की व्यवस्था
स्थानीय स्तर पर विरोध के बाद अब सरकारी बंदोबस्ती बंद हो गयी। अब स्थानीय लोग ही छठ पर्व को लेकर काफी सक्रिय रहते है।स्थानीय लोगों के सहयोग से दो पानी टंकी, स्नानागार, पेयजल की समुचित व्यवस्था की गयी है। इसके अलावे स्वास्थ्य शिविर, सफाई, रोशनी की व्यवस्था की जाती है। पुलिस द्वारा सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है।,