सिकंदरपुर में ग्रामीणों ने नहीं किया था मतदान
परैया सड़क की समस्या को लेकर चुनाव में मत नहीं देने के कई मामले परैया प्रखंड क्षेत्र में आते रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में परैया की सुदूरवर्ती पंचायत पुनाकला स्थित गांव बैगोमन के ग्रामीणों ने अपनी सड़क की समस्या को लेकर अपने मताधिकार का उपयोग नहीं किया।
परैया : सड़क की समस्या को लेकर चुनाव में मत नहीं देने के कई मामले परैया प्रखंड क्षेत्र में आते रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में परैया की सुदूरवर्ती पंचायत पुनाकला स्थित गांव बैगोमन के ग्रामीणों ने अपनी सड़क की समस्या को लेकर अपने मताधिकार का उपयोग नहीं किया। ग्रामीणों के इस निर्णय में गांव के सभी वर्ग व समुदाय ने भागीदारी दिखाई। जिसके कारण प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बैगोंमन अवस्थित मतदान केंद्र संख्या 163 में सैकड़ों मतदाताओं का मत नहीं पड़ा। उस मतदान केंद्र का मतदान प्रतिशत शून्य रहा। वर्तमान में गांव में सड़क बन गयी है। जिसके बाद लोकसभा 2019 चुनाव में करहट्टा पंचायत के सीमांत गांव सिकन्दरपुर के ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर दिखा। गांव के युवा के साथ बूढ़े भी चुनाव में मत नहीं देने की जिद्द कर बैठे। ग्रामीणों ने गांव में सभी जगह 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का बैनर लटकाया। यहां तक कि प्राथमिक विद्यालय स्थित मतदान केंद्र संख्या 127 के बाहर दीवार पर भी यह बैनर लगाया गया है। स्थानीय वार्ड सदस्य सह उपमुखिया प्रमिला देवी ने बताया कि ग्रामीणों के उग्र आंदोलन के कारण लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं हुआ। उपमुखिया पति सह समाजसेवी उमेश यादव ने बताया कि सड़क की समस्या पुश्तों से चली आ रही है। कई पीढ़ी आंखों में सपने संजोये गुजर गयी। लेकिन कोई फल प्रतिफल नहीं मिला। मिला तो सिर्फ पक्ष विपक्ष का आश्वासन और भरोसा। करहट्टा पंचायत के दो गांव सड़क विहीन है। करहट्टा और सिकंदरपुर के ग्रामीण लगातार सड़क समस्या से त्रस्त है। लेकिन सरकारी स्तर से आजतक कोई पहल नहीं हुई। वर्तमान में सड़क निर्माण को लेकर सूचना पट लगाया गया है। जिसको देखकर ग्रामीण सड़क निर्माण को आशान्वित है।
नयकी अहरी से सिकंदरपुर के बीच की दूरी तीन किलोमीटर के करीब है। जो पूरी तरह से कच्ची सड़क है। ग्रामीणों में बताया कि विकट समस्या के कारण दर्जनों ग्रामीण गांव से पलायन कर दूसरे गांव या शहर का रुख कर चुके है। बारिश के दिनों में गांव में आना सभी के वश की बात नहीं है। ऐसे में यदि कोई बीमार हो जाय तब भगवान ही उसकी रक्षा कर सकते हैं। चिकनी मिट्टी के कारण बड़े वाहन तो क्या छोटे दुपहिया वाहन भी गांव में प्रवेश नहीं करते हैं। 95 वर्षीय फुलवासो देवी की आंखें गांव के विकास की बांट जोहते जोहते पथरा गयी है। आजादी से आज तक कई लोकसभा चुनाव व विधान चुनाव हुए। जिसमें मतदान के बाद सरकार को बनते बिगड़ते देखा है। अब इतनी उम्र में गांव के लोग उन्हें भूल गए है। बस जब चुनाव आता है तब किसी दल से जुड़े लोग वोट देने के लिए कहने या वोट दिलवाने को टांग कर ले जाने आते है। ऐसे में उसी कच्ची सड़क से गुजरना जिसमें वो आठ दशक पहले बहू बनकर आयी थी औघता है। नेता आते है वायदे के पुलिदे पकड़ाकर जाते है लेकिन स्थिति आज तक नहीं सुधरी। गांव की बच्चियां कोसों दूर उच्च शिक्षा ग्रहण करने जाती है। ऐसे में बारिश के तीन माह उनके पढ़ाई में ग्रहण का काम करती है। शिक्षा के प्रति सभी उत्साह उमंग वहां समाप्त हो जाती है क्योंकि बच्चियों को बाहर रखकर पढ़ाना अभिभावकों को मंजूर नहीं। बस किसी तरह दरियापुर जाकर हाई स्कूल तक पढ़ाई हो पाती है। गलियों में बह रहा नाली पहले से बदतर स्थिति में चला गया है क्योंकि आज की व्यस्त व्यवस्था में ग्रामीण नाली की सफाई करते नहीं और कच्ची गली में बह रही कच्ची नालियां इधर-उधर फैल रही है। सिकंदरपुर स्थित मतदान केंद्र में कुल मतदाताओं की संख्या 376 है। जिसमें महिला 185 व पुरुष मतदाता 191 है। लोक सभा चुनाव में उक्त मतदान केंद्र पर कुल 4 मत डाला गया था। जिसमें आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, आशा ने अपना अपना मत कई पदाधिकारी व प्रतिनिधि के समझाने के बाद दिया था। जो कुल मतदाता का 1.08 प्रतिशत है।