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कोरोनाकाल में पार्किंग के अंदर खड़े रहे वाहन, गया के टूर एंड ट्रेवल संचालक को पितृपक्ष मेले का इंतजार

मान्यता है कि गया में श्राद्ध करने के उपरांत पितृ देवलोक प्रस्थान कर जाते है। उक्त कारण को लेकर पितृपक्ष में काफी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते है। जहां अपने पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान करते है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 05:28 PM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 05:28 PM (IST)
कोरोनाकाल में पार्किंग के अंदर खड़े रहे वाहन, गया के टूर एंड ट्रेवल संचालक को पितृपक्ष मेले का इंतजार
गया की फल्‍गु नदी के किनारे तर्पण करते पिंडदानी। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, गया। मान्यता है कि गया में श्राद्ध करने के उपरांत पितृ देवलोक प्रस्थान कर जाते है। उक्त कारण को लेकर पितृपक्ष में काफी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते है। जहां अपने पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान करते है। पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार भी श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात नहीं हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है। पितृपक्ष मेला का आयोजन का इंतजार शहरवासियों को रहता है। क्योंकि एक बड़ा कारोबार होता है। मेला में टूर एंड ट्रेवल संचालकों को अच्छी एवं गाढ़ी कमाई होती है। लेकिन पितृपक्ष मेला का आयोजन में असमंजस के कारण वाहनों का बुकिंग न के बराबर हुई है।

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दो महीने पहले से बुकिंग हो जाता प्रारंभ

पितृपक्ष मेला का इंतजार टूर एंड ट्रेवल संचालकों को एक साल से रहता है। मेला का आयोजन होने से दो महीने पहले वाहनों की बुकिंग प्रारंभ होती थी। लेकिन असमंजस के कारण वाहन की बुकिंग बिल्कुल नहीं हुई। तीर्थयात्री पितृपक्ष मेला में आने से पहले तीन दिन, सात दिन, 15 दिन एवं 17 दिनों के वाहनों को बुकिंग करवाते थे। जिससे टूर एंड ट्रेवल संचालकों को अच्छी कमाई होती थी। लेकिन मेला का आयोजन नहीं होने से संचालक कर्ज में डूबते जा रहे है।

क्‍या हैं टूर एंड ट्रेवल संचालक

पंकज कुमार ने कहा कि पितृपक्ष मेला का आयोजन किसी भी हाल में होना चाहिए। मेला को लेकर एक वर्ष से इंतजार कर रहे है। मेला का आयोजन नहीं होने से कर्ज में डूबते जा रहे है। 

पीयूष राज ने कहा कि पिछले वर्ष भी पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं हुआ था। जिसके कारण टूर एंड ट्रेवल संचालकों के बीच आर्थिक संकट गहरा गया है। बैंक द्वारा रुपये जमा करने का बार-बार नोटिस दिया जा रहा है। समझ में नहीं आ रहा क्या किया जाए।

अमित कुमार ने कहा कि कोरोना नियम के तहत पितृपक्ष मेला का आयोजन होना चाहिए, क्योंकि बड़ा कारोबार होता है। पिछले वर्ष भी मेला का आयोजन नहीं हुआ था। उम्मीद है कि इस वर्ष मेला का आयोजन होगा।

विक्रम कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष भी पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं हुआ था। जिसके कारण टूर एंड ट्रेवल संचालकों के बीच आर्थिक संकट बना हुआ है। दस चरण में पंचायत चुनाव हो सकता पर एक पखवारे का मेला का आयोजन क्यों नहीं।


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