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जापानी इंसेफलाइटिस से बचाव के लिए गया के 22 हजार बच्चों को लगाया जाएगा टीका, तैयार हुई ड्यू लिस्ट

जापानी इंसेफलाइटिस यानि जेई से बचाव के लिए नौ माह से एक साल तक के बच्चों को पहला टीका लगाया जाता है। 16 माह से 24 माह तक के बच्चों को जेई का दूसरा टीका लगाया जाता है। गया में 2010 से यह टीका नियमित टीकाकरण में शामिल है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 02:36 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 02:36 PM (IST)
जापानी इंसेफलाइटिस से बचाव के लिए गया के 22 हजार बच्चों को लगाया जाएगा टीका, तैयार हुई ड्यू लिस्ट
जापानी इंसेफलाइटिस से ग्रसित बच्‍चे का उपचार करते डॉक्‍टर। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, गया। जिले में जापानी इंसेफलाइटिस से बचाव के लिए 21 हजार 924 बच्चों को टीका किया जाएगा। टीकाकरण के इस अभियान को लेकर स्वास्थ्य महकमा ने प्रखंडवार ड्यू लिस्ट तैयार कर लिया है। संभावित है कि जिले भर में 17 जून से इस विशेष टीकाकरण अभियान की शुरूआत हो। फिलहाल इससे जुड़ी सभी तैयारियां की जा रही है।

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गौरतलब है कि पिछले महीने जिलाधिकारी ने एईएस/जेई के संक्रमण के संभावित संक्रमण को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया था। जेई टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों को टीका लगाने के लिए समीक्षा करते हुए तैयारी करने को कहा था। इसके साथ ही सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को निर्देश दिया था कि सुअर पालन क्षेत्र एवं वैसे क्षेत्र जो पूर्व में एईएस/जेई के रिपोर्टेड केस के रूप में चिन्हित एवं प्रतिवेदित किए गए हैं, उक्त क्षेत्रों में संक्रमण की रोकथाम के लिए दवा का छिड़काव कराने को कहा था।

15वीं वित्त आयोग की राशि से फागिंग कराने को कहा था। इसके साथ ही इस बीमारी के प्रति आम लोगों में जागरूकता के लिए मिशन मोड में फ्लैक्स व माइकिंग के माध्यम से विशेष जागरूकता अभियान चलाने को कहा था। इसके साथ ही जिलाधिकारी ने पिछले दिनों मगध मेडिकल अस्पताल के शिशु वार्ड में पहुंचकर भर्ती होने वाले बच्चों की चिकित्सीय व्यवस्था का जायजा भी लिया था।

साल 2019 में इंसेफलाइटिस से पांच की हुई थी मौत

स्वास्थ्य महकमा से मिली जानकारी के अनुसार गया जिला इंसेफलाइटिस से प्रभावित रहा है। साल 2019 में गया जिले में 15 बच्चे जेई से संक्रमित पाए गए थे। इन सभी का इलाज मगध मेडिकल अस्पताल के शिशु वार्ड में किया गया था। इनमें से पांच बच्चों की मौत इलाज के दौरान हो गई थी। अनेक जगहों पर इसे चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है। कुपोषित बच्चों को इस बीमारी के होने का खतरा अधिक रहता है।

प्राथमिकता के आधार पर दवा का होगा छिड़काव

जिला वेक्टर जनित नियंत्रण रोग पदाधिकारी डॉ. एमई हक ने बताया कि सभी प्रखंड में मेलाथियॉन रसायन दवा का छिड़काव कराने की योजना बनी है। इसके लिए अभी फतेहपुर को चार मशीन दी गई है। सभी प्रखंड के सभी सुअरबाड़ाें के नजदीक प्राथमिकता के आधार पर इस दवा का छिड़काव करवाना है। साथ ही उस इलाके में लोगों को भी जेई व एईएस बीमारी को लेकर जागरूक किया जा रहा है।

नौ माह पर लगाया जाता है जेई का पहला टीका

जापानी इंसेफलाइटिस यानि जेई से बचाव के लिए नौ माह से एक साल तक के बच्चों को पहला टीका लगाया जाता है। 16 माह से 24 माह तक के बच्चों को जेई का दूसरा टीका लगाया जाता है। गया जिले में साल 2010 से यह टीका नियमित टीकाकरण में शामिल है। अभी इसके वैक्सीन की बात करें तो स्टोर में 56 सौ वायल वैक्सीन उपलब्ध है। एक वायल से पांच बच्चे को टीका लगाया जाता है। यानि जापानी इंसेफलाइटिस से बचाव के लिए जिले में पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध है।

प्रखंड- बच्चों की संख्या

आमस-484

अतरी-167

बांके बाजार-793

बाराचट्टी-1262

बेलागंज-661

बोधगया-1563

डोभी-477

डुमरिया-730

फतेहपुर-1075

गुरारू-764

गुरूआ-1053

इमामंज-973

कोंच-465

खिजरसराय-707

मानपुर-1398

मोहनपुर-1957

मोहड़ा-440

नीमचक बथानी-205

परैया-1005

शेरघाटी-1306

टनकुप्पा-428

टाउन ब्लॉक-145

टिकारी-389

वजीरगंज-827


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