इस 'पेड़ वाले बाबा' को है ताउम्र पौधे रोपने का जुनून
जागरण सरोकार पर्यावरण संरक्षण ----------------- फोटो 20 गया 100 ------------ -गया के टनकुप्पा प्रखंड के बड़ैला गाव के सीताराम पासवान बचपन से हैं पर्यावरण के हमदर्द -खेतों में मां-बाप के साथ काम करते समय हुए कष्ट से बचपन में ही लिया पौधे लगाने का संकल्प -पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए सीताराम ने प्रशासन से भी डटकर किया मुकाबला ------------------
हिमांशु गौतम, टनकुप्पा (गया)
खेतों में काम करने के बाद लोगों को आराम करने के लिए पेड़ की छांव नहीं मिलती देख बालमन को इस कदर ठेस पहुंची कि उसी दिन सड़क के किनारे, आहर, पोखर सहित गाव में पौधे लगाने का संकल्प ले लिया। तब से 75 वसंत देख लेने के बावजूद पौधे लगाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। कुछ ऐसी बेजोड़ कहानी है जिले के टनकुप्पा प्रखंड के बड़ैला गाव निवासी सीताराम पासवान की। सीताराम ने पौधा लगाने का संकल्प ही नहीं लिया, बल्कि उन्हें संवारने का भी जिम्मा वह बखूबी निभाते हैं। पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए उन्होंने प्रशासन से डटकर मुकाबला भी किया है।
कमजोर नजरों से निहारते हुए लड़खड़ाती जुबां से सीताराम पासवान बताते हैं, उन पर पौधे रोपने का जुनून बचपन में सवार हुआ। तब से वह आज भी जारी है। वह बताते हैं, बचपन में मा-पिता के साथ खेतों में काम करने का अवसर मिला तो उन्होंने देखा कि लोगों को सुकून के दो पल बिताने के लिए भटकना पड़ता है। राहगीरों को भी दोपहर के वक्त पेड़ की छांव तलाशनी पड़ती है। उसी दिन से उन्होंने पौधे लगाने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का प्रण कर लिया। अब तक सीताराम ने 300 से अधिक पौधे रोपे हैं। उनमें से अधिकांश आज भी जिंदा हैं। पेड़ की छांव में किसान व राहगीर को आराम करते देख सीताराम का मन खुश होता है। वह बताते हैं, बड़ैला गाव से मुख्य सड़क सहित खेत, आहर व पोखर आदि जगहों पर लगाए गए पौधे अभी भी खड़े हैं। गाव में भी 10 पौधे लगाए हैं, जो गाव की शोभा बढ़ा रहे और पर्यावरण भी संरक्षित कर रहे हैं। बचपन में पढ़ाई के साथ की पौधों की देखभाल :
सीताराम ने बताया कि बचपन में पढ़ाई करने के साथ पौधे लगाकर उनकी देखभाल भी करते थे। जवानी में बिहार पुलिस की नौकरी को ठोकर मार गाव सहित आसपास में पौधे लगाते रहे हैं। पौधे लगाने के दौरान प्रशासन की ओर से तमाम अड़चनें आई। इसके बावजूद वह अपने संकल्प पर अडिग रहे। उनका मुख्य पेशा खेती है। इसी के सहारे वह गुजर-बसर कर रहे हैं। उनकी चार पुत्रियां हैं, कोई पुत्र नहीं है। अपनी बेटियों के साथ ग्रामीणों से भी लगवाए पौधे :
सीताराम स्वयं के साथ अपनी बेटियों और ग्रामीण युवकों से भी पौधों को खाद-पानी दिलाते हैं। अब भी वह युवा पीढ़ी को पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने की नसीहत देते रहते हैं। ग्रामीण अजीत कुमार, सुंदर ध्यानी, विकास कुमार व मुन्ना कुमार आदि ने बताया कि सीताराम पासवान की प्रेरणा से प्रेरित होकर उन लोगों ने अपनी बंजर जमीन पर पौधे लगाए हैं। इसी कारण सीताराम अपने गांव में 'पेड़ वाले बाबा' के नाम से चर्चित हैं। आज भी वह 75 वर्ष के होने के बावजूद हर दिन सुबह टहलते हुए पौधों का हालचाल लेते हैं। वह प्रतिवर्ष दर्जनों पौधे रोपते हैं। सांस चलने तक चलेगा पौधे रोपने का सिलसिला : सीताराम
सीताराम पासवान कहते हैं, 'पौधे लगाने का जो मेरा संकल्प था, उसे पूरा किया। मेरा सपना पूरा हो रहा है। जब तक सांस चलेगी, तब तक पौधे रोपता रहूंगा।' वह स्थानीय प्रशासन के रवैये से दुखी हैं। कहते हैं, हम वृद्ध हैं। इसके बाद भी हमें वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।