औरंगाबाद में डंके की चोट पर कहा- हां, हमारे पूर्वज हिंदू ही थे, हिंदू-मुस्लिमों का एक है डीएनए
अमानुल्लाह खान ने 100 पेज की उर्दू की किताब लिखकर डंके की चोट पर कहा कि उनके पूर्वज कैसे हिंदू थे। उनके पूर्वज मथुरा चौधरी और कमलनयन सिंह थे। जानिए बिहार के औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड के पीरु के मुसलमानों की जुबानी हिंदू से मुस्लिम बनने की कहानी
उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने बताया था कि उनके पूर्वज ङ्क्षहदू थे। बिहार के अन्य गांवों से भी ऐसी ही स्वीकारोक्ति आने लगी हैैं। औरंगाबाद जिले के हसपुरा प्रखंड के पीरू गांव के मुसलमान भी यह स्वीकार करने में नहीं हिचकते कि उनके पूर्वज हिंदू थे। बकायदा किताब लिखकर उन्होंने इसकी पुष्टि करने की कोशिश की है।
पीरू गांव निवासी अमानुल्लाह खान ने 100 पेज की उर्दू की एक किताब-'पीरू गांव : एक तआरुफ' लिखकर यह बताया कि उनके पूर्वज कैसे हिंदू थे? 1936 में स्थापित पब्लिक उर्दू लाइब्रेरी, पीरू ने वर्ष 2000 में यह किताब प्रकाशित की थी। पीरू के निवासी अमानुल्लाह खान और शाहनवाज खान से 'दैनिक जागरण' ने मुलाकात की और इतिहास जानने का प्रयास किया, जिन्होंने किताब लिखने के लिए अमानुल्लाह को प्रेरित किया था।
'पीरू गांव : एक तआरुफ' के लेखक अमानुल्लाह खान।
सत्य सत्य ही रहेगा..
दोनों ने बताया कि फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल 1351-1388 में बम्भई (कलेर, अरवल) निवासी मथुरा चौधरी ने इस्लाम ग्रहण किया और वे गुलाम मुस्तफा खान बन गए। औरंगजेब के शासनकाल 1659-1707 में बम्भई के ही कमल नयन सिंह मतांतरण कर नसीरुद्दीन हैदर खान बन गए। इन्हीं दोनों के वंशज आज पीरू में रहते हैं और यह बात उन्हें स्वीकारने में कोई हिचक नहीं होती। कहते हैं, सत्य सत्य ही रहेगा, इसलिए अपनी पीढ़ियों को बताने के लिए कि उनके पूर्वज हिंदू ही थे, उक्त किताब लिखी।
अस्सी प्रतिशत मुस्लिमों के पूर्वज हिंदू : शाहनवाज
शाहनवाज खान कहते हैं, सैयद को छोड़कर प्राय: सभी (करीब 80 प्रतिशत) मुस्लिमों के पूर्वज हिंदू ही हैं। लगभग कन्वर्टेड हैं। मतांतरण करके मुस्लिम बने हिंदुओं के वंश परंपरा के हैं। कहा कि ङ्क्षहदू मुस्लिम का फसाद सिर्फ नेता पैदा करते हैं। हम हिंदुस्तानी हैं। हिंदुस्तान का झंडा लहराएंगे, न कि अरब या पाकिस्तान का। हमारा खून उन्हीं लोगों का है, जो पहले हिंदू थे।
हम सभी भारतीय हिंदू ही हैं : नेशात खान
पीरू निवासी नेशात खान कहते हैं, डंके की चोट पर मैं कह रहा हूं कि हम सभी भारतीय ङ्क्षहदू ही हैं। भले ही हमारी जाति मुस्लिम है। तमाम परंपरा भारतीयता से जुड़ी है। सिंधु नदी को फारस के लोगों ने हिंदू बोला, क्योंकि फारसी स को ह उच्चारित करते थे। वे आक्रांता थे, इसलिए भारत के तमाम लोग हिंदू ही हैं, चाहे सनातन धर्मावलंबी हों या इस्लाम को मानने वाले हों। हमारे पूर्वज हिंदू थे और हम भी हिंदू ही हैं।
जाति-धर्म बदला, डीएनए नहीं : मो. जलाल
पीरू निवासी मोहम्मद जलाल कहते हैं कि उन्होंने अपने पूर्वजों से यह जाना कि जितने भी हिंदुस्तान में हैं सबके पूर्वज हिंदू थे। जाति और धर्म तो बदला, लेकिन हमारा डीएनए नहीं बदला है। अनावश्यक फसाद सिर्फ राजनीतिक कारणों से खड़ा होता है।
इस लिए हम कहते हैं, एक है डीएनए : विजय अकेला
भाजपा नेता और हसपुरा के मुखिया रहे विजय अकेला कहते हैं, इसीलिए हम और हमारा संगठन कहता है कि भारतीय उप महाद्वीप के मुस्लिमों के पूर्वज हिंदू थे और दोनों का डीएनए एक ही है। पीरू निवासी हारून खान, रामशिला पूजन में शिला अपने सिर पर रखकर ढोए थे और पीरू में इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी उनकी ही थी।