शहर में होते रहे लड़ाई-दंगे, सोते रहे शांति समिति के सदस्य
-होली दशहरा दीपावली ईद और मुहर्रम जैसे पर्व के दौरान समाहरणालय में बैठकों तक ही सीमित हैं शांति समिति के सदस्य बंद हॉल में सिर्फ करते हैं दोषारोपण --------- जागरण संवाददाता गया
गया । शहर में विगत तीन दिनों में अलग-अलग स्थानों पर अपराधी बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम देते रहे और शांति समिति के सदस्य सोते रहे। समिति से जुडे़ सदस्य जिम्मेदारी से भागते रहे। ऐसे में अब जिला शांति समिति पर भी सवाल उठने लगे हैं। आखिरकार जब हंगामा होते हैं तो शांति समिति सदस्य नदारद क्यों रहते हैं। इनकी उपयोगिता होली, दशहरा, दीपावली, ईद और मुहर्रम जैसे पर्व के दौरान समाहरणालय में बैठकों तक ही सीमित रहती है। बंद हॉल में सिर्फ दोषारोपण होता है। क्षेत्र में हालात बिगड़ते हैं तो लोगों को शांत करने या फिर स्थिति संभालने के बजाय गायब हो जाते हैं।
विजयादशमी के दिन दुखहरणी से लेकर रमना रोड तक हंगामा होता रहा। तुतबाड़ी में घरों और दुकानों पर पथराव किए गए और फिर फायरिग की। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्यों न इस समिति को भंग कर नई समिति का गठन किया जाए। कुछ लोग बताते हैं कि समिति में जो सदस्य बने हुए हैं वे कई दशक से हैं। उनकी सक्रियता भी नहीं दिखती। अब हर समाज से युवाओं को समिति में मौका देना चाहिए।