धर्मगुरु को सत्तू के साथ शाकाहारी खाना है पसंद
फोटो- 78 -दलाईलामा के लिए गेहूं का सत्तू हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर स्थित लाउस पीसी में होता है तैयार -प्रतिदिन तड़के तीन बजे जागते हैं तिब्बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु -नित कर्म से निवृत्त होकर करते हैं पूजा और ध्यान-साधना -शाम और रात में लेते हैं मीठी चाय सुबह और दोपहर को मौसमी फल ------- -02 बौद्ध लामा तैयार करते हैं उनका भोजन -05 बजे प्रात धर्मगुरु करते हैं नाश्ता -----------
विनय कुमार मिश्र, बोधगया
तिब्बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु 14 वें दलाईलामा तेनजीन ग्यात्सो को गेहूं का सत्तू और शाकाहारी खाना पंसद है। उनके लिए गेहूं का सत्तू हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर स्थित लाउस पीसी से तैयार होकर आता है। उनका भोजन दो बौद्ध लामा तैयार करते हैं। उन्हें किस दिन कौन सा आहार लेना है। यह भी उनके करीबी लामा यथा पेनजोला और लोबसांग काबा ला ही तय करते हैं। दोनों दो दशक से उनके साथ हैं।
धर्मगुरु प्रतिदिन तड़के तीन बजे जागते हैं। नित कर्म से निवृत्त होकर पूजा और ध्यान-साधना करते हैं। प्रात: पांच बजे के आसपास नाश्ता करते हैं। नाश्ते में जौ के बने सामान, फल और दूध का सेवन करते हैं। बकौल पूर्व कूक फिमसो छिंरिग दोपहर में थोड़ा चावल, रोटी, पीली दाल, भेज थुपा और तिब्बत चाय लेना पसंद करते हैं। शाम और रात में मीठी चाय लेते हैं। सुबह और दोपहर में मौसमी फल जरूर लेते हैं।
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तीन चक्र के सुरक्षा घेरे
में होता है शयन कक्ष
तिब्बत मंदिर के वरीय लामा तेनजीन बताते हैं कि धर्मगुरु का शयन कक्ष तीन चक्र के सुरक्षा घेरे में होता है। वहां जिला पुलिस के साथ-साथ उनके निजी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती रहती है। उनके शयन कक्ष के साथ वाले कमरे में सेवक एक लामा जबकि पास के कमरे में दो अन्य लामा रहते हैं। बाहर से खाना आने पर जांच कर परोसा जाता है। उनके सामने नाश्ता व खाना लोबसंग काबा ला नामक लामा ही परोसते हैं। उन्होंने कहा कि पहले धर्मगुरु धर्मशाला शहर स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के कार्यालय जाया करते थे। अब उम्र ज्यादा होने के कारण नहीं जाते हैं। अब लोगों से मिलना ज्यादा होता है।