बोधगया में पर्यटकों को आकर्षित करता है तोरमा
विनय कुमार मिश्र, बोधगया : बुद्ध की ज्ञानभूमि बोधगया। पूरे विश्व की धरोहर। यह विश्व के बौद्ध ध्
विनय कुमार मिश्र, बोधगया :
बुद्ध की ज्ञानभूमि बोधगया। पूरे विश्व की धरोहर। यह विश्व के बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक है। इस भूमि को नमन करने की इच्छा ही उन्हें यहां खींच लाती है। महाबोधि मंदिर को विश्वदाय धरोहर का दर्जा दिया गया है।
शरद ऋतु में इस भूमि पर बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। खासकर विश्व शांति के निमित पवित्र बोधिवृक्ष या मंदिर परिसर में आयोजित पूजा स्थल। पूजा आयोजन स्थल को फूलों से सजाया जाता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर देशी-विदेशी फूलों से आकर्षक तोरण द्वार बनाया जाता है। पूजा स्थल पर न सिर्फ पूजा के नेतृत्वकर्ता का आसन सुसज्जित कर रखा जाता है, बल्कि देवी-देवताओं को समर्पित 'तोरमा'। जिसे मैदा, मक्खन से स्तूप आकार देकर फूल-फल के साथ पूजा आयोजन स्थल पर रखा जाता है। कई तोरमाओं में रंग-बिरंगे मक्खन से देवी-देवताओं व भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्रा में आकृति उकेरी जाती है। खासकर तिब्बती और भूटानी बौद्ध श्रद्धालुओं की पूजा में यह विशेष रूप से देखने को मिलता है। इस दौरान विदेशी बौद्ध श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर परिसर की विशेष प्रकाश व्यवस्था से सजावट की जाती है, जो सहज ही संध्या बेला में पर्यटकों को आकर्षित करता है। महाबोधि मंदिर परिसर में शरद ऋतु में ध्यान-साधना और आस्था के विभिन्न आयाम देखने को मिलते हैं। विभिन्न वोटिव स्तूपों के बीच तिब्बती व भूटानी बौद्ध श्रद्धालु ध्यान-साधना में तल्लीन रहते हैं। वहीं, छोटे-बड़े स्तूपों को पात्र में जल रखकर व रंग-बिरंगे फूल आदि से सजाया जाता है। ज्ञानभूमि का परिभ्रमण कराता मिनी वर्ल्ड टूर का एहसास भी कराता है। विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर सहित जापान, थाईलैंड, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, वितयनाम, चीन, श्रीलंका आदि देशों के कई बौद्ध मंदिर व मोनास्ट्री यहां है। जहां संबंधित देश के स्थापत्य कला की झांकी देखने को मिलती है।