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महोत्सव पर जगमग हुआ तमसा नदी का तट

जल जंगल जमीन संरक्षण का दिया गया संदेश पृथ्वी को बचाने के लिए जल को बचाना आवश्यक

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 05:19 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 09:20 AM (IST)
महोत्सव पर जगमग हुआ तमसा नदी का तट

गया। नवादा के हिसुआ में देवोत्थान के अवसर पर बुधवार को तमसा महोत्सव का आयोजन हुआ। तमसा नदी का तट को दीपों के प्रकाश से जगमग कर दिया गया। इसके पूर्व सुप्रसिद्ध कलाकार व समाजसेवी देवेंद्र विश्वकर्मा, डॉ. शैलेंद्र कुमार प्रसुन्न ने तमसा तट पर सेंट आर्ट के रुप मे आकर्षक पांच शिवलिग की आकृति का निर्माण किया । जिसे देखकर वहां आने-जाने वाले लोगों का मन गदगद हो जा रहा था। हर कोई उकेरी गई सेंट आर्ट की प्रशंसा कर रहा था। यूके भारती के निर्देशन में इसका निर्माण किया गया था।

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इस अवसर पर मौजूद प्रो. मनु जी राय ने कहा कि नदियों के मृत होने से जल स्वत: नष्ट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वैसा शहर जो नदियों के पास नहीं है, वहां जल की दिक्कतें होती है। उन्होंने कहा कि डॉ. मिथलेश कुमार सिन्हा कि सोच थी कि हम रहे या न रहे नदी रहनी चाहिए। उनकी अनुपस्थिति में भी आयोजन हो रहा है, यह काफी हर्ष का विषय है। उन्होंने कहा कि मिथलेश कुमार सिन्हा ने जो तमसा महोत्सव का शुरुआत किया है निरंतर चलता रहे। समाजसेवी इंजीनियर रंजीत कुमार ने सिधु घाटी कि सभ्यता को याद करते हुए कहा कि भारत का अस्तित्व नदियों से है। आरएसएस के परमेंद्र कुमार ने कहा कि तमसा नदी कि चर्चा धर्मशास्त्रों में हैं। सीतामढ़ी ही है जो माता सीता की वनस्थली रही है, जिसकी संपुष्टि भी हो चुकी है। शैलेंद्र कुमार प्रसून ने कहा कि विकसित और विकासशील शहर व देश नदियों के पास ही है। कहा कि नदियों के जल को प्रवाहित होने से प्रभावित करेंगे तो हम जल विमुक्त हो जाएंगे। नदियों का अतिक्रमण रोकने के लिए पहल करने कि आवश्यकता है।

जितेंद्र आर्यन ने कहा ऐसी कार्यकर्मों से क्षेत्र को एक विशेष पहचान मिलती है। उन्होंने नदी संरक्षण पर जरूरी पहल करने पर बल दिया। अन्य वक्ताओं ने भी जल, जंगल, जमीन को धरोहर बताते हुए संरक्षित करने पर बल दिया। समाजसेवी जीवन लाल, बजरंगदल के मनीष राठौर, डॉ. रामविलास प्रसाद, डॉ. रविनिवास, नीरज लाल नवदिया, दिलीप राम, उमेश यादव सहित दर्जनों उपस्थित लोगों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में पंकज कुमार प्रवीण ने आगन्तुकों को धन्यवाद ज्ञापन किया। देवेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने नदी तट पर वैश्विक बीमारी कोरोना से बचाव को लेकर अपनी कला से संदेश देते हुए बताया कि शारीरिक दूरी के साथ साथ मास्क लगाने की आवश्यकता है।

बता दें कि इस महोत्सव कि शुरुआत क्षेत्र के जानेमाने शिक्षाविद स्व. डॉ. मिथलेश कुमार सिन्हा ने 2008 में किया था। उनके असमय निधन के पश्चात यह पहला तमसा महोत्सव था, जिसे आयोजकों ने पूरे उत्साह के साथ संपन्न किया।


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