समाज को शिक्षित करने के लिए 21 दिन बाद ही छोड़ दी नौकरी
नीरज कुमार मिश्र, डोभी उनका सपना गरीबों के आंगन में शिक्षा का दीप जलाना है। कोई आइ
नीरज कुमार मिश्र, डोभी
उनका सपना गरीबों के आंगन में शिक्षा का दीप जलाना है। कोई आइपीएस, बड़ा अधिकारी या फिर समाज सेवक बनकर समाज को नई दिशा दे..। डोभी प्रखंड के शाहपुर गांव के 23 वर्षीय सौरभ कुमार की यही तमन्ना है।
इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी। बचपन से ही गाव के बच्चों को विद्यालय नहीं जाकर गाय-भैंस के बीच अपना पूरा समय बिताते देखना उनको नहीं भाता था।
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सलेमपुर विद्यालय से हासिल की। मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई सरकारी उच्च विद्यालय आमस हुई। उसके बाद चेन्नई से वर्ष 2016 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। भाग्य ने साथ दिया और कैंपस सलेक्शन में बिस्टामाइन्ड कंपनी में इंजीनियरिंग की नौकरी मिली। महज 21 दिन के बाद ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी। परिवार के सदस्य के दबाव के बावजूद अपने घर लौट गए। गाव में बने सामुदायिक भवन में जानवर बाधने से लोगों को रोका। उसे साफ कर गाव के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने लगे। लोगों ने मजाक उड़ाया पर वे परवाह किए बगैर मैं अपने कार्य में लगे रहे। वर्तमान में 250 बच्चे निश्शुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
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अब खुद पढ़ने
आ जाते हैं बच्चे
सौरभ कहते हैं, प्रारंभ में बच्चों को उनके घरों से बुलाकर लाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। दो साल में ही गाव के लोगों का विश्वास जीत लिया। अब उनके मिशन में परिवार के सदस्य भी सहयोग कर रहे हैं। सुबह छह से नौ बजे तक वर्ग एक से चार और शाम को तीन से पाच बजे तक वर्ग पाच से आठ तक के बच्चों को अकादमिक शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से दे रहे हैं। स्कूल में नामांकन कराने में भी पूरी मदद करते हैं।
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मित्र भी कर रहे सहयोग
इस कार्य में सौरभ के मित्र उनका सहयोग कर रहे हैं। वे समय-समय पर बच्चों को पुस्तक, कलम, चौक और अन्य सामान मदद के तौर पर देते हैं। जिस गाव में मात्र एक व्यक्ति मैट्रिक पास था वहा अब दर्जनों बच्चों मैट्रिक पास करेंगे।