Accident in Gaya:गया में नहीं थम रहा सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला, बोलेरो से कुचल अधेड़ की गई जान
गया में सड़क हादसे में कमी नहीं आ रही है। एक ओर सड़क सुरक्षा सप्ताह चलाने की बात पुलिस करती है तो दूसरी यह धरातल पर नहीं दिखता। वहीं नाबालिग चालकों के कारण भी दुर्घटनाएं हो रही हैं।
जेएनएन, गया। कहने को एक तरफ सरकार सड़क पर होने वाली दुर्घटना को कम करने के लिए तरह-तरह का प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ टिकारी क्षेत्र में दुर्घटना थमने का नाम नहीं ले रही है । आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो क्षेत्र में प्रति सप्ताह कहीं न कहीं दुर्घटनाएं हो रही हैं। बुधवार की रात भी हादसा हुआ। फतेहपुर थाना क्षेत्र के रघवाचक - पहाड़पुर सड़क मार्ग के अमरपुर के पास देर रात सड़क हादसे में 50 वर्षीय अधेड़ की मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार गणेशीडी के रहने वाले 50 वर्षीय रूपलाल यादव अमरपुर से अपने घर आ रहे थे। इसी दौरान रघवाचक की तरफ से आ रही बोलेरो ने टक्कर मार दिया। घटना में रूपलाल को गंभीर चोटें आई। स्थानीय ग्रामीणों ने फतेहपुर के एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया। स्थिति में सुधार नहीं होने पर गया रेफर कर दिया गया। रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इधर भागने के दौरान बोलेरो ने पहाड़पुर के पास एक मवेशी को टक्कर मार दी।
नहीं थम रहा हादसे का सिलसिला
टिकारी-कुर्था मार्ग, टिकारी- बेला मार्ग, टिकारी-गया मार्ग, टिकारी-कोंच, टिकारी-रूपसपुर, टिकारी-हिच्छापुर सहित कई मुख्य मार्गों पर आए दिन वाहन चालक नियमों का उल्लंघन करते फर्राटा भरते रहते हैं। नतीजतन दुर्घटना में असमय लोगों की जान जा रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या विचलित कर देने वाली है। वर्ष 2017 में 9, 2018 में 15, 2019 में 8 और 2020 में अबतक 15 मौतें हो चुकी है।
नाबालिग के हाथ में थमा रहे स्टीयरिंग
क्षेत्र के मुख्य मार्गों पर नाबालिग वाहन चलाते दिख जाते हैं। ऐसे वाहन चालकों की संख्या कम नहीं है। अभिभावकों की शान और प्रशासन की लापरवाही से क्षेत्र में दर्जनों नाबालिगों के हाथों में बाइक और ऑटो की स्टीयरिंग है। वाहन चेकिंग अभियान में हेलमेट और मास्क के नाम पर प्रशासन सरकार का खजाना भरने के लिए तो सड़क पर प्रतिदिन मुस्तैद दिख रहा है। लेकिन गाड़ी कौन चला रहा है, उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस है कि नहीं, वाहन का फिटनेस है या समाप्त हो गया आदि सुरक्षा मानकों की जांच करने की फुर्सत प्रशासन के पास नहीं है।
हर दुर्घटना के बाद सड़क जाम बन गई है परंपरा
मुख्य मार्गों पर होने वाली सड़क दुर्घटना के उपरांत सड़क जाम कर मार्ग को अवरुद्ध करने की परंपरा सी बन गई है। आक्रोशित लोगों द्वारा सड़क जाम कर मुआवजे की मांग की जाती है। शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए प्रशासन भी लोगो के समक्ष मूकदर्शक बना रहता है। इस क्रम में सरकारी नियमों की अनदेखी कर आश्रितों को मुआवजा देने से परहेज भी नहीं किया जाता।
शहर के कई बुद्धिजीवियों ने सड़क पर सुरक्षा को लेकर प्रशासन से उचित कदम उठाने की मांग की है। शहर के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि ने दुर्घटना के दृष्टिकोण से मुख्य मार्गों पर अतिसंवेदनशील क्षेत्र को चिह्नित कर वहं सुरक्षा के ख्याल से बैनर पोस्टर लगाने की मांग की है। साथ ही जागरूकता अभियान चलाने, मानकों के अनुरूप वाहनों को परिचालन की अनुमति देने, जगह जगह जेब्रा क्रॉसिंग बनाने, अवैध ठोकरों को हटाने, जर्जर सड़कों और पुल-पुलिया, अप्रोच पथ आदि जगहों पर बने जानलेवा गड्ढों की मरम्मत कराने आदि की मांग प्रशासन से की है ।