कैमूर में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तैयार हो रहा रेफरल अस्पताल
वैश्विक महामारी कोरोना की तीसरी लहर के दस्तक देने से पहले अस्पतालों को संसाधनों से लैश करने की कोशिश जारी है। जिसको लेकर रामगढ़ रेफरल अस्पताल ऑक्सीजन प्लांट के लिए तैयार हो गया है। जहां से अगस्त माह के अंत तक ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा।
कैमूर। वैश्विक महामारी कोरोना की तीसरी लहर के दस्तक देने से पहले अस्पतालों को संसाधनों से लैश करने की कोशिश जारी है। जिसको लेकर रामगढ़ रेफरल अस्पताल ऑक्सीजन प्लांट के लिए तैयार हो गया है। जहां से अगस्त माह के अंत तक ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह उपलब्धि राज्य में मधुबनी जिले के बाद कैमूर के रामगढ़ रेफरल अस्पताल को मिली है। इसके शुरू होते ही मरीजों को आक्सीजन के अभाव में दम नहीं तोड़ना पड़ेगा। 30 बेड के इस रेफरल अस्पताल में 6 बेड का कोविड वार्ड का निर्माण अलग से हो रहा है। मैनेजमेंट की बदौलत जिले से लेकर राज्य में अपनी पहचान स्थापित करने वाले इस अस्पताल को अब विशेष सुविधा मिलने वाली है। कायाकल्प का अवार्ड भले ही इसे नहीं हासिल हुआ लेकिन लोगों का कायाकल्प करने का बेहतरी का सर्टिफिकेट इंग्लैंड के जांनसन ने दे दिया था। अब इस अस्पताल को कोविड सेंटर के रुप में भी जाना जा सकता है। अब तक यहां से केवल प्राथमिक उपचार व जांच के बाद ही मरीजों को रेफर किया जाता रहा है। अब उन्हें हर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेगी। दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की जाने चली जा रही थी। उसकी पुनरावृत्ति दोहराई नहीं जा सकती। इस लिहाज से तीसरी लहर से पहले ही तैयारी शुरू हो गई है। ऑक्सीजन प्लांट बैठाने में रामगढ़ में अन्यत्र जगह जाने की आवश्यकता नहीं है। रेफरल अस्पताल के कैंपस में ही ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए एजेंसी सर्वे कर चुकी है। दो चार दिन के अंदर इस दिशा में कार्य शुरू होना हैं। ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण होने से कोविड के ही नहीं अन्य मरीजों को भी लाभ मिलेगा। अबतक यहां से मरीजों को संसाधन के अभाव में रेफर किया जाता रहा है। जो अब दूर होने जा रही है। इसके लिए एक हेल्प डेस्क लाइन का भी निर्माण होना है। जिसका नियंत्रण कक्ष प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अधीन होगा।
ऑक्सीजन प्लांट को चलने के लिए लगेंगे अलग उपकरण
सरकार द्वारा रेफरल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट को संचालित करने के लिए अन्य कई तरह के उपकरण की आवश्यकता होगी। इसके लिए अलग से दो केबीए का ट्रांसफार्मर तथा 50 केबीए का अलग से जेनरेटर होगा। जिससे इस संयंत्र को चलाया जा सकता है। हमेशा इसे बिजली की आवश्यकता होगी। जिससे विद्युत बोर्ड पर अतिरिक्त बोझ भी बढ़ना है। कोविड के प्रारंभिक लक्षण वाले मरीजों को जिन्हें ऑक्सीजन की कमी होगी उन्हें यहीं पर ऑक्सीजन दी जाएगी। जिसको संचालित करने के लिए अलग कर्मी की नियुक्ति होगी।
रेफरल अस्पताल में सात डाक्टर व 17 एनएम हैं कार्यरत :
यहां सर्जन व विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं है। महिला डॉक्टर के अभाव में नर्स प्रसव करती हैं । जिस कारण मरीजों की जान भी सांसत में रहती हैं। शुरू से ही इस अस्पताल को विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी खलती रही है। बावजूद नसबंदी में यह अस्पताल सबसे आगे है। कोविड वैक्सीनेशन का मामला हो या पुरुष महिला नसबंदी का यह रेफरल अस्पताल अग्रसर दिखा।
अस्पताल के सभी कर्मी हैं कोरोना योद्धा : डा. सुरेंद्र
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान अस्पताल के सभी कर्मियों ने कोरोना योद्धा के तहत लड़ाई लड़ा। पहली व दूसरी दोनों लहर के दौरान अपनी जिम्मेदारी से जरा भी स्वास्थ्य कर्मी बिचलित नहीं हुए। जिसका नतीजा रहा कि संक्रमण की चेन तोड़ने में कामयाबी मिली। इसके लिए अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी सहयोग इस दिशा में सराहनीय रहा। जिनकी बदौलत अधिकतर कोरोना मरीजों को होम आइसोलेशन में क्वारंटाइन कर ठीक किया गया। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि बिहार में मधुबनी के बाद दूसरा रेफरल अस्पताल रामगढ़ को ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था मिली है।