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कोरोना गाइडलाइन के बीच शहर में मनाई गई रामनवमी, मंदिर के प्रवेशद्वार बंद

गया रामनवमी पर्व को लेकर बुधवार को मंदिरों से लेकर घरों में तैयारी की गई थी। कोरोना वायरस को लेकर ऐसे तो मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद है। लेकिन शहर स्थित कई मंदिरों में पुजारी द्वारा विशेष पूजा-अर्चना किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 11:10 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 11:10 PM (IST)
कोरोना गाइडलाइन के बीच शहर में मनाई गई रामनवमी, मंदिर के प्रवेशद्वार बंद

गया : रामनवमी पर्व को लेकर बुधवार को मंदिरों से लेकर घरों में तैयारी की गई थी। कोरोना वायरस को लेकर ऐसे तो मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद है। लेकिन शहर स्थित कई मंदिरों में पुजारी द्वारा विशेष पूजा-अर्चना किया गया। हालांकि उसमें श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहा। शहर के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर गोलपत्थर, बाइपास स्थित हनुमान मंदिर, विष्णुपद मंदिर परिसर स्थित हनुमान मंदिर एवं मानपुर के जनकपुर स्थित हनुमान मंदिर में विशेष तैयारियां की गयी थी। जहां मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया गया था। आचार्य लाल भूषण मिश्र याज्ञिक ने कहा कि इस बार रामनवमी का काफी महत्व है। इस तरह का संयोग नौ वर्षो में बना है। दोपहर में कर्क लग्न में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बनाया गया। दोपहर में शहर में स्थिति मंदिरों में भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाई गई। जन्मोत्सव कार्यक्रम में सिर्फ मंदिरों के पुजारियों ने भाग लिया। आम श्रद्धालुओं को जन्मोत्सव कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं थी।

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शहर में नहीं निकली रामनवमी का जुलूस रामनवमी के अवसर में शहर में जुलूस निकलता था। जुलूस के आकर्षक झांकी भी निकलता था। शहर में कई धार्मिक संगठन द्वारा जुलूस का आयोजन किया जाता था। लेकिन दो वर्षो से कोरोना ने जुलूस पर ग्रहण लगा दिया है। जिसके कारण शहर में पिछले वर्ष से रामनवमी का जुलूस नहीं निकला था। इस वर्ष भी किसी तरह का आयोजन पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंध के कारण इस वर्ष भी रामनवमी का जुलूस शहर में नहीं निकला।

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घरों में श्रद्धालुओं ने किया पूजा-पाठ रामनवमी के अवसर पर घरों में श्रद्धालुओं ने पूजा-पाठ किया। साथ ही घरों में महावीरी पताका भी लगाया। श्रद्धालुओं ने हरा बांस में महावीरी पताका लगाकर गोलपत्थर स्थित हनुमान मंदिर पहुंच रहे थे। जहां पताका का संकल्प करने के लिए भीड़ दिखी गयी। संकल्प के पताका का एक निश्चित स्थान श्रद्धालु रख रहे थे। जबकि मंदिर के प्रवेशद्वार पूरी तरह से बंद था। श्रद्धालु प्रवेशद्वार पर ही पूजा, अर्चना एवं दर्शन कर रहे थे।


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