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जर्जर भवन में संचालित हो रहा रामचंद्र सिंह वनमाली बाबा प्लस-टू कन्या विद्यालय

गया। सरकार की तमाम घोषणाओं व दावों के बावजूद सरकारी विद्यालयों की स्थिति नहीं सुधर रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 11:43 PM (IST)
जर्जर भवन में संचालित हो रहा रामचंद्र सिंह वनमाली बाबा प्लस-टू कन्या विद्यालय

गया। सरकार की तमाम घोषणाओं व दावों के बावजूद सरकारी विद्यालयों की स्थिति नहीं सुधर रही है। शहर के अंदर संकरी गली में रामचंद्र सिंह वनमाली बाबा प्लस-टू कन्या विद्यालय 1967 से संचालित हो रहा है। यह तीन मंजिल का है, जो पूरी तरह जर्जर है। इसी हालत में बच्चियों के बैठने की व्यवस्था है। सभी कमरों की हालत काफी जर्जर है। बरामदे में बच्चियों को बैठाकर पढ़ाया जाता है। शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालय का नया भवन बनाने की अबतक कोई कवायद नहीं की गई है। यहां नामांकित बच्चियों की संख्या कुल 378 है। इसमें नवमीं में 182, दसवीं में 154, 11वीं में 23 और 12वीं में 19 छात्राएं हैं। यहां छात्राओं के वर्ग के लिए एक भी कमरा नहीं है। सभी वर्ग की छात्राओं को बरामदे में पढ़ाई जाती है। वहीं, विद्यालय में प्रधानाध्यापिका समेत 12 शिक्षक हैं और एक लिपिक, एक लाइब्रेरियन के अलावा दो चपरासी भी हैं। प्रधानाध्यापिका प्रेमलता कुमारी ने कहा कि विद्यालय की समस्या को लेकर लगातार जिला शिक्षा पदाधिकारी से शिकायत की गई है, लेकिन इसके बावजूद भी कोई भी शिकायत पर अधिकारी द्वारा अमल नहीं किया जा रहा है। मजबूरी में बच्चियों को बरामदे में शिक्षा दी जाती है। विद्यालय का पूरा भवन जर्जर है। बरामदे में भी स्मार्ट क्लास की होती है पढ़ाई :

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सरकारी स्कूलों के छात्रों को निजी स्कूलों की तर्ज पर स्मार्ट क्लास के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है। स्मार्ट क्लास के माध्यम से कंप्यूटर में ई-लर्निग और डिजिटल बुक से छात्राओं को पढ़ाई कर स्मार्ट बनने की तैयारी है, लेकिन रामचंद्र सिंह वनमाली बाबा प्लस टू कन्या विद्यालय में स्मार्ट क्लास के लिए भी कमरा नहीं है। वह भी बरामदे में भी संचालित हो रहा है। छात्राओं का कहना है कि विद्यालय का भवन पूरी तरह जर्जर है। कक्षा संचालन भी बरामदे में हो रहा, वह भी काफी जर्जर है। बच्चियों के खेलकूद के लिए नहीं है व्यवस्था :

संकीर्ण गली में संचालित विद्यालय भवन के अलावा कुछ नहीं है। वह भी जर्जर हालत में है। छात्राओं के लिए खेलकूद के लिए मैदान नहीं है, न ही कमरा और ना ही साइकिल खड़ी करने की जगह है। छात्राओं का कहना है कि हम लोगों का भी विद्यालय का अपना खेलकूद मैदान होना चाहिए था, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से किसी प्रकार का ध्यान नहीं है। जर्जर भवन के अंदर भय के माहौल में पढ़ने को विवश हैं।


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