कठपुतली नृत्य के माध्यम से जापानी संस्कृति से बच्चों को कराया अवगत
यूनेस्को से मान्यता प्राप्त ओसाका साउथ इंटरनेशनल कल्चर एसोसिएशन के 15 सदस्यों का दल बुधवा
यूनेस्को से मान्यता प्राप्त ओसाका साउथ इंटरनेशनल कल्चर एसोसिएशन के 15 सदस्यों का दल बुधवार को बोधगया पहुंचा। कोसो तोरी के नेतृत्व में पहुंचे दल के सदस्यों ने जापान मंदिर में संचालित बोदाइजु गाकुएन (बच्चों का स्कूल) के नन्हें बच्चों के बीच कठपुतली नृत्य व वाद्ययंत्र का वादन कर बच्चों को जापानी संस्कृति से रूबरू कराया। कठपुतली नृत्य देख बच्चों ने शोर-शराबा करते हुए खूब मजे किए। दल के साथ आए द्विभाषिए प्रमोद जायसवाल ने बताया कि कोसो तोरी के नेतृत्व में आए दल के सदस्यों ने फिलिपिन्स सहित कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। जापान में इस कठपुतली नृत्य सीखने के लिए लंबा समय लगता है। एक कठपुतली को तीन लोग मिलकर चलाते हैं। दल के सदस्यों ने संध्या बेला में विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध को नमन किया। कोसो तोरी ने कहा कि बुद्धभूमि पर बच्चों के बीच इस कला का प्रदर्शन करने से काफी प्रसन्नता हुई है। बच्चों को संस्कृति से रूबरू कराना सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना है। उन्होंने कहा कि बोधगया से वापसी पर उक्त कला को दिल्ली के खेतान स्कूल में दल के सदस्यों द्वारा दिखाया जाएगा। कठपुतली नृत्य के बाद दल के सदस्यों ने बच्चों के बीच पाठ्य सामग्री व बौद्धिक क्षमता को विकसित करने वाले खिलौने वितरित किए। बता दें कि दल के सदस्यों छह दिवसीय भारत यात्रा पर है।