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गया में पितृपक्ष में पितरों की मुक्ति को लेकर पिडदानी करते थे सोरस दान

गया। सोरस दान से बड़ा कोई दान नहीं होता है। सोरस (सोलह) दान महादान कहा जाता है जिसमें पिंडदानी अपनी इच्छा से दान करते थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 11:44 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 11:44 PM (IST)
गया में पितृपक्ष में पितरों की मुक्ति को लेकर पिडदानी करते थे सोरस दान
गया में पितृपक्ष में पितरों की मुक्ति को लेकर पिडदानी करते थे सोरस दान

गया। सोरस दान से बड़ा कोई दान नहीं होता है। सोरस (सोलह) दान महादान कहा जाता है, जिसमें मनुष्य की जरूरत की सभी चीजें होती हैं। पांच दशक पहले पिडदानी पितृपक्ष में सोरस दान करते थे, लेकिन अब सोरस दान नहीं के बराबर रह गया है। उक्त बातें 73 वर्षीय गयापाल पुरोहित हीरानाथ मेहरवार दाड़ीवाले ने कहीं।

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उन्होंने कहा कि पिडदान करने के लिए आज की तिथि में लोगों को पास काफी कम समय है, जबकि 50-60 वर्ष पहले तीर्थयात्री गयाजी में 18 दिनों तक रहकर अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिडदान करते थे। गयाजी में घूम-घूमकर तीर्थयात्री करीब 45 पिडवेदियों पर पिडदान करते थे। पिडदानी नंगे पैर चलने के साथ फलाहार पर रहकर कर्मकांड करते थे। वाहन का इस्तेमाल कर्मकांड के क्रम में नहीं करते थे। वहीं, रात में बिल्कुल सादा भोजन करते थे। पिडदानियों को आवासन गयापाल पंडा का घर रहता था। सादा भोजन कर जमीन पर चटाई बिछाकर सो जाते थे। पिडदानी स्वयं अपने हाथ से ही भोजन बनाकर खाते थे। कर्मकांड कराने को लेकर आचार्य को पिडदानियों के साथ लगा दिया जाता था, जो वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पिडदान का विधि करते थे। उन्होंने कहा कि कर्मकांड का विधि बिना गयापाल पुरोहित के आदेश के बिना नहीं करते थे। आदेश के बाद ही पितरों की मुक्ति को लेकर पिडदान करते थे। पिडदान करने के बाद सुफल का आशीर्वाद लेकर पिडदानी अपने घर को लौटते थे। पिडदानी पूरी श्रद्धा के साथ ज्ञाद्धकर्म करते थे।

सभी के सहयोग से पितृपक्ष में पिडदानी करेंगे कर्मकांड : गयापाल पुरोहित

गया। पितृपक्ष का प्रारंभ होने में अब कुछ दिन शेष रह गया है। 20 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। जिसमें सभी के सहयोग से कोरोना काल में पिडदानी कर्मकांड कर सकते है। उक्त बातें बुधवार को गयापाल पुरोहितों ने शहर के सिजुआर भवन में प्रेसवार्ता में कहीं। श्रीविष्णुपद प्रबंधनकारिणी समिति के सदस्य शंभू लाल बिठ्ठल ने कहा कि कोरोना को लेकर सरकार ने मेला का आयोजन का आदेश नहीं दिया है, जबकि कर्मकांड पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। तीर्थयात्रियों से निवेदन है कि कोरोना गाइडलाइन के तहत पितृपक्ष में कर्मकांड करें। अपने को सुरक्षित रहते हुए दूसरे को भी सुरक्षा का ख्याल रखें। वहीं सदस्य महेश लाल गुपुत ने कहा कि पितृपक्ष में काफी कम संख्या में पिडदानी गयाजी आएंगे। पिडदान को लेकर सरकार द्वारा अनुमति दी गई है, जो सराहनीय है। धर्मशाला से लेकर पिडवेदी तक कोरोना गाइडलाइन का पूरा ख्याल किया जाएगा। पितृपक्ष का आयोजन होने से सभी लोगों को खुशी देखी जा रही है। अमरनाथ धोकड़ी ने तीथयात्रियों से अपील की कि पिडवेदी पर मास्क लगाकर कर्मकांड करें। मौके पर शिवकुमार भईया, मनीलाल बारिक, गजाधर लाल पाठक आदि मौजूद थे।


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