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पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देशभर से पहुंच रहे पिंडदानी

फोटो-0203050608 एवं 09 जेपीजी में ---------- -विष्णुपद प्रांगण में सोलह वेदियों पर किया कर्मकांड काफी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु परिसर पड़ा छोटा ----------- जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 07:54 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 07:54 PM (IST)
पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देशभर से पहुंच रहे पिंडदानी
पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए देशभर से पहुंच रहे पिंडदानी

गया । पितृपक्ष मेले के आठवें दिन शुक्रवार को पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदानी विष्णुपद प्रांगण में पहुंचे। वहां स्थित सोलह वेदियों पर सूर्योदय के साथ ही पिंडदानियों ने कर्मकांड शुरू किया। सोलह वेदियों पर पिंडदान करना बहुत ही कठिन कार्य है। यहां उतरना थोड़ा जोखिम भरा रहता है। काले पत्थर से बने सोलह वेदियों पर पिंडदानी कर्मकांड कर रहे थे। यहां पिंडदान व कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों की संख्या बहुत अधिक थी। ऐसे में जगह कम पड़ गई। परिवार के साथ बैठकर कर्मकांड की विधि शुरू कर दी। गया तीर्थ पुरोहित निरंतर इन वेदियों पर कर्मकांड करा रहे थे। पूरी तन्मयता के साथ अपने-अपने पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर पुरोहित द्वारा बताए गए विधि से कर्मकांड कर रहे थे। यहां कोई पिता के लिए तो कोई माता व अन्य परिजनों के मोक्ष की कामना कर रहे थे। पूरी श्रद्धा, भक्ति और मनोकामना के साथ उम्र के अंतिम पड़ाव पर रहे बुजुर्ग कर्मकांड की हर विधि को कर रहे थे।

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इन वेदियों पर उमड़ी भीड़

विष्णुपद प्रांगण में स्थित रुद्रपद, ब्रह्मापद, दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्यग्निपद, आह्वन्याग्निपद, सन्भ्यग्निपद, आवस्थ्यगनिपद, सूर्यपद, कार्तिकेय पद, इंद्रपद, अगस्त पद, कण्वपद, चंद्र पद, गणेश पद, कौच पद, मंतग पद, कश्यप पद एवं गजकर्णपद आदि वेदियों पर देश व विदेशों से आए पिंडदानियों ने पूर्वजों की मोक्ष कामना को लेकर जौ, तिल, आटा से पिंडदान किया।

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रूद्रलोक की प्राप्ति को

पिंडदानी ने की कामना

मंदिर परिसर में स्थित सोलह वेदियों में से छह पर तीर्थयात्रियों ने कर्मकाड किया। मंदिर के आग्नेय कोण पर स्थित सोलह वेदियों में से छह पर खीर से बने पिंड को अर्पित तक पितरों के रूद्रलोक की प्राप्ति की कामना की। त्रिपाक्षिक पिंडदान करने वालों के अलावा एक, तीन और सात दिनी कर्मकाड करने वालों की भीड़ गया पंचकोस के वेदियों पर है।

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फिसलन से हुई परेशानी

पिंडदान में ज्यादातर जौ और आटा का प्रयोग होता है। सोलह वेदियों पर पिंडदानी थाली और पत्तल पर जौ और आटा का पिंड तैयार कर रहे थे। पिंडदान के उपरांत उसे उसी स्थल पर छोड़ दिया जाता है। पिंडदान करने के उपरांत पानी का छिड़काव भी होता है। इस कारण से बुजुर्ग पिंडदानी को सोलह वेदियों में उतरने में सबसे ज्यादा परेशानी हो रही थी। कई बार बुजुर्ग गिरते-गिरते बच गए। वहां तैनात पुलिसकर्मी ने बुजुर्गो को संभाल रहे थे।

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फल्गु में पिंडदानियों

ने लगाई डुबकी

कर्मकांड करने पर पिंडदानियों ने फल्गु नदी में डुबकी लगाई। शुक्रवार को नदी में पानी की धारा देखी गई। नदी में पानी होने के कारण देवघाट पर कर्मकांड करते देखे गए। सुबह से ही कर्मकांड करने के लिए पिंडदानी पहुंचे थे। पानी को देख पिंडदानी काफी उत्साहित थे।


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