जोश, जज्बा, उत्साह से भरे नव सैन्य अधिकारियों ने दिखाई शौर्य क्षमता
जोश जज्बा उत्साह उमंग। देश के लिए हद पार कर देने की ललक। शनिवार को ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी गया में आयोजित पासिंग परेड में यही दृश्य था। देश के विभिन्न हिस्सों के जेंटलमैन कैडेट कड़े प्रशिक्षण के बाद सेना में अधिकारी बन रहे थे। इनके कंधों पर अब दुश्मनों से देश की सुरक्षा की बागडोर है।
गया । जोश, जज्बा, उत्साह, उमंग। देश के लिए हद पार कर देने की ललक। शनिवार को ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी गया में आयोजित पासिंग परेड में यही दृश्य था। देश के विभिन्न हिस्सों के जेंटलमैन कैडेट कड़े प्रशिक्षण के बाद सेना में अधिकारी बन रहे थे। इनके कंधों पर अब दुश्मनों से देश की सुरक्षा की बागडोर है। लेफ्टिनेंट रैंक के अधिकारी बने विंग कैडेटों को मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल नगो सिन्ह तिएन, डिप्टी चीफ ऑफ जनरल स्टाफ, वियतनाम पीपल्स आर्मी ने कंधों पर उनके पिता के साथ स्टार सजाए तो यह यादगार पल बन गया।
इसी प्रकार अन्य विंग कैडेटों को आर्मी ट्रेनिंग कमान अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पीसी थिम्मया, ओटीए कमांडेंट सुनील श्रीवास्तव ने कंधों पर स्टार सजाए। सभी कैडेटों के माता-पिता व अन्य परिजनों ने भी कंधे पर स्टार सजाए। इस क्रम में कइयों की आंखें खुशी से नम हो गई थीं।
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भारतीय सेना में इस मुकाम को हासिल करने के लिए चार वर्षो तक कठिन परिश्रम किया। मेरे पिता राजेश कुमार सिंह एयरफोर्स में हैं और माता जी गृहिणी। परिजनों की प्रेरणा से इस मुकाम को हासिल कर पाया हूं।
ले. शिवम सिंह, गोल्ड मेडल
नारायणी, अमेठी उत्तरप्रदेश
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चार वर्ष के कठिन परिश्रम का आज फल मिला। मुझे सेना का अनुशासन काफी पसंद है। इसलिए हमने भारतीय सेना में जाने का मन बनाया और काफी मेहनत की। रजत पदक विजेता बनने पर प्रसन्नता दोगुनी हो गई।
ले. शुभम शाही, सिलवर मेडल, पैडलेगंज, गोरखपुर उत्तरप्रदेश
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देश सेवा का जज्बा शुरू से रहा। सेना में जाने के लिए पिता जी ने भी प्रेरित किया। चार साल के कठिन परिश्रम के बाद भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया। आज का दिन मेरे जीवन के लिए अविष्मरणीय है।
ले. अभिषेक कामत, कांस्य पदक, कोथरूल पुणे, महाराष्ट्र
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मैं किसान परिवार से आता हूं। लेकिन मेरे अंदर भारतीय सेना का अंग बनने की ललक शुरू से रही। 14 वर्षो के प्रयास और कठिन परिश्रम से इस मुकाम को हासिल किया हूं। मैं अपने परिवार का पहला व्यक्ति सेना से जुड़ा हूं।
ले. विकास राय, रजत पदक, साउथ सिक्किम
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मैं आज काफी प्रसन्न हूं। चूकिं चार साल की मेहनत के बाद देश की सेवा का मुझे मौका मिला है। इसके लिए मेरे माता-पिता से प्रेरणा मिली। आज सफल होने पर माता-पिता द्वारा मेरे कंधे पर स्टार लगाया गया। यह यादगार पल आजीवन याद रहेगा।
ले. अमित कुमार, एकमा लछकरीपुर छपरा
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मेरे पिता अशोक कुमार श्रीवास्तव सेना में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं। सेना में जाने की प्रेरणा उन्हीं से मिली। इसके लिए प्रयास किया और चार वर्षो के प्रशिक्षण के बाद इस मुकाम को हासिल किया।
ले. अमन कुमार श्रीवास्तव, राजापुर, सिमरी बक्सर
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मेरे परिवार में तीन पीढ़ी से लोग फौज में हैं। मैं अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि को बरकरार रखने के लिए भारतीय सेना में शामिल हुआ हूं। आज सफलता प्राप्त करने पर काफी प्रसन्नता हो रही है। इसे प्राप्त करने के लिए काफी परिश्रम करना पड़ा है।
ले. पी. दिवेन्द्र राज, चितुर आंध्रप्रदेश
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आज जब माता-पिता ने कंधे पर स्टार लगाया तो देश सेवा के भार का अहसास हुआ। यह मेरे जीवन का कभी न भूलने वाला पल है। इसके लिए काफी मेहनत और प्रयास किया। पिताजी अशोक कुमार सिंह सिवान सिविल कोर्ट में अधिवक्ता हैं।
ले. तनमय अशोक, श्रीनगर मोहल्ला सिवान