मेहनत और जुनून से बंजर भूमि पर लाई हरियाली
विश्वनाथ प्रसाद, मानपुर पर्यावरण संरक्षण के लिए हर कोई अपनी राय देता हुआ नजर आ जाता है,
विश्वनाथ प्रसाद, मानपुर
पर्यावरण संरक्षण के लिए हर कोई अपनी राय देता हुआ नजर आ जाता है, लेकिन उसके लिए काम बहुत कम लोग करते हैं। मानपुर के बड़की नीमा गांव के 75 वर्षीय महावीर ने अपना पूरा जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया। उनका जुनून इतना है कि वो अपनी जान से ज्यादा पेड़-पौधों के बारे में सोचते हैं। अभी तक सात हजार पौधे लगाकर उन्हें बड़ा किया है। खास बात यह है कि उन्होंने ये काम बिना किसी सरकारी मदद कर दिखाया है। आज वह लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
प्राकृतिक धरोहर को लुप्त होते देख महावीर ने पौधे लगाने का संकल्प लिया। उसके बाद उन्होंने जमीन की तलाश शुरू की। पैमार नदी के किनारे करीब तीन एकड़ बंजर भूमि में घास तक नहीं उगती थी। महावीर ने गैंता और कुदाल से कठिन परिश्रम के बाद जमीन को तैयार किया। गांव के ही रहने वाले धर्म नोनियां ने उन्हें जिला उद्यान कार्यालय मानपुर से विभिन्न प्रजाति के करीब सात हजार पौधे लाकर दिए। उन्होंने सभी पौधे लगाए। दो टीन के डब्बे की बहंगी से पैमार नदी से पानी लाकर पौधों की सिंचाई करते रहे। धीरे-धीरे पौधे जवान हो गए। इस वर्ष महावीर पौधे लगाने के लिए और भूमि तलाश रहे हैं। उनका मानना है कि पौधे लगाने से ही पर्यावरण संतुलित रहेगा।
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दशरथ मांझी से मिली प्रेरणा
40 वर्ष पूर्व बाबा दशरथ मांझी नीमा गांव आए थे। उन्होंने गहलौर घाटी की एक कहानी ग्रामीणों को सुनाई। कहानी सुनकर महावीर चौहान काफी प्रभावित हुए। उन्हीं के समक्ष पर्यावरण संतुलन के लिए पौधे लगाने का संकल्प लिया।
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लोगों में ही बांट देते हैं फल
पैमार नदी के किनारे लगे बगीचे में सीसम, सागवान, गमहार, महुआ, महोगनी के अलावा आम, अमरूद, बैर, जामुन के फलदार पौधे भी लगे हैं। इसकी देखरेख के लिए बगीचे में बनी कुटिया में खुद महावीर चौबीस घंटे रहते हैं। यहां से पैदावार फल की बिक्री नहीं की जाती। क्षेत्र के लोगों में ही फल बांट दिए जाते हैं।
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पिकनिक मनाने आते हैं बच्चे
पैमार नदी के आसपास के क्षेत्र काफी खुशहाल है। यहां काफी संख्या में बच्चे पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। बंजर भूमि में छायी हरियाली के लिए महावीर की काफी प्रशंसा करते हैं।
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पर्यावरण की रक्षा करना
सबसे बड़ा धर्म
महावीर कहते हैं, पर्यावरण की रक्षा करना सबसे बड़ा धर्म है। ग्लोबल वार्मिग के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए हरेक को जीवन में पौधे लगाना चाहिए। भावी पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण देने के लिए यह जरूरी है। जिस तरह पेड़ों की कटाई हो रही है और कंक्रीट के जंगल फैल रहे हैं। ऐसे में पौधरोपण ही एकमात्र जरिया है, जिससे पर्यावरण संरक्षण संभव है।
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पहल काफी सराहनीय
नीमा गांव स्थित प्राथमिक मध्य विद्यालय के शिक्षक विनोद कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए इनकी पहल काफी सराहनीय है। पौधे लगाने की शुरुआत गांव के ही बुद्धु चौहान ने की थी। उसके बाद महावीर चौहान ने बड़े पैमाने पर पौधरोपण का संकल्प लिया। उनकी मेहनत रंग लाई और आज पूरे क्षेत्र में हरियाली छाई हुई है।