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पीएचडी कोर्स के छात्रों के लिए विशेष व्याख्यान का आयोजन

बोधगया मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग में रविवार को पीएचडी कोर्स के छात्रों के लिए आनलाइन विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 11:45 PM (IST)Updated: Sun, 18 Jul 2021 11:45 PM (IST)
पीएचडी कोर्स के छात्रों के लिए विशेष व्याख्यान का आयोजन

बोधगया : मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग में रविवार को पीएचडी कोर्स के छात्रों के लिए आनलाइन विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान का विषय था- भारतीय प्रवासी का साहित्य: अनुसंधान परिपेक्ष्य और संभावनाएं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद के दिशा निर्देश एवं अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. निभा सिंह की अगुवाई में आयोजित व्याख्यान में पीएचडी के सभी शोधार्थियों ने भाग लिया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता बीएचयू के प्रो माया शंकर पांडे ने कहा कि भारतीय प्रवासी साहित्य उत्तर-औपनिवेशिक साहित्य के बढ़ते क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस साहित्य के कुछ प्रसिद्ध लेखकों में सत्येंद्र नंदन, एके रामानुजन, वीएस नायपाल, शाहिद अली, राजा राव, सलमान रुश्दी सहित अन्य शामिल हैं। उन्होंने विस्तार से बताया कि पहचान की खोज, जड़ों के लिए विषाद, अपराध बोध की भावना हमेशा से लेखकों के मानस में रही है। प्रवासी लेखक अक्सर विभिन्न कारणों से अपनी मातृभूमि की ओर रुख करते हैं जैसे कि अपनी जड़ों की सतत खोज अथवा इसके इतिहास को अमर करने या अपनी लालसा वाली आत्मा को फिर से सक्रिय करने के लिए। उनके लेखन से एक नई सांस्कृतिक विश्लेषण का उदय होता है, जिसकी अपनी विशिष्ट पहचान होती है जो ना केवल मातृभूमि बल्कि निवास भूमि दोनों को प्रतिबिबित करती है। भारतीय प्रवासी लेखकों का मनोविज्ञान मुख्य रूप से पुरानी यादों के तत्वों से संतृप्त है क्योंकि वे नई संस्कृतियों के माहौल में खुद को खोजने की कोशिश करते हैं। वे अपनी मूल भूमि के सांस्कृतिक लक्षणों की पृष्ठभूमि में लिखते हैं और साथ ही मेजबान भूमि के सांस्कृतिक स्थान में खुद को समाहित करने का प्रयास करते हैं। ऐसा साहित्य विभिन्न संस्कृतियों के बीच एक सेतु का काम करता है तथा विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों के देशों के बीच बेहतर सामंजन का मार्ग प्रशस्त करता है और वैश्वीकरण के लिए एक प्रेरणा भी प्रदान करता है। विभागाध्यक्ष डा. सिंह ने इस व्याख्यान को भारतीय अंग्रेजी विभाग में अध्ययन कर रहे शोधार्थियों के लिए काफी महत्वपूर्ण एवं उपयोगी बताया तथा उन्होंने आशा व्यक्त किया कि इस व्याख्यान से उनके शोध में काफी सहायता मिलेगी। व्याख्यान के बाद शोधार्थियों द्वारा कई प्रश्न पूछे गए इसका जवाब व्याख्याता ने बखूबी दिया। धन्यवाद ज्ञापन विभाग के प्राध्यापक संजय कुमार ने किया। व्याख्यान में विभाग के प्रो रहमत जहां, प्रो विकास मोहन सहाय तथा डा. सुशील कुमार ने हिस्सा लिया।

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