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कैंसर से जंग जीतकर प्रेम ने अब प्रकृति से लगाई प्रीत

राकेश कुमार बेलागंज (गया)। कैंसर से जंग जीती तो प्रेम ने अब पर्यावरण से प्रीत लगा ली है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 11:36 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 11:36 PM (IST)
कैंसर से जंग जीतकर प्रेम ने अब प्रकृति से लगाई प्रीत
कैंसर से जंग जीतकर प्रेम ने अब प्रकृति से लगाई प्रीत

राकेश कुमार, बेलागंज (गया)। कैंसर से जंग जीती तो प्रेम ने अब पर्यावरण से प्रीत लगा ली है। उन्होंने सीमित संसाधनों में पर्यावरण की रक्षा करने को ठानी और अपने मकान को गमलों के सहारे पार्क का रूप दे दिया। प्रेम ने करीब सौ से अधिक किस्मों के फूलों व औषधीय पौधों को उन गमलों में करीने से लगाया है।

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हम बात कर रहे हैं जिले के चाकंद निवासी प्रेम कुमार की, जिन्होंने तीन वर्षो तक लिवर कैंसर जैसे असाध्य रोग से लड़कर एक नए जीवन की शुरुआत की है। वे बताते हैं, वर्ष 2018 के दिसंबर माह में पहले किडनी की समस्या उत्पन्न हुई। उसके उपरात चिकित्सकों ने कहा कि आप लिवर कैंसर से पीड़ित हैं। इसका इलाज डीएमएस हॉस्पिटल, बेंगलुरु में शुरू हुआ। एक वर्ष तक सघन चिकित्सा के बाद पिछले साल दिसंबर में चिकित्सकों के दल ने मुझे कैंसर विजेता का प्रमाण पत्र दिया। इसके बाद इस साल दो जनवरी को सकुशल अपने घर चाकंद लौट आए। सीमित संसाधनों के जरिए लिया पर्यावरण की रक्षा का संकल्प :

पेशे से हार्डवेयर व्यापारी प्रेम कुमार बताते हैं, इलाज के बाद हम चिंतन करने लगे कि आखिर इतनी गंभीर बीमारी होने का कारण क्या हो सकता है? इस पर हमें आभास हुआ कि पर्यावरण के असंतुलन से जीवों में तरह-तरह की बीमारिया हो रही हैं। इसी के बाद उन्होंने ठान लिया कि क्यों न पर्यावरण को संतुलित करने के लिए कुछ प्रयास शुरू किया जाए। फिर अपने सीमित संसाधनों के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प ले लिया। गमलों के सहारे घर की छत को दे दिया पार्क का रूप :

'जहा चाह, वहां राह..' वाली कहावत को चरितार्थ कर प्रेम कुमार ने लगभग छह माह की कड़ी मेहनत व लगन से आज अपने घर को पार्क के रूप में संवार दिया है। उनके घर की छत, गलियारों व रेलिंग पर गमलों के सहारे लगभग सौ से अधिक प्रकार के फूल व औषधीय पौधे लगे हैं। उनकी इस प्रयोग से आसपास के पड़ोसियों के अलावा उनके शुभचिंतक भी पर्यावरण प्रेमी बनते जा रहे हैं। प्रेम कहते हैं, नया जीवन मिलने के बाद अब उनका एक ही लक्ष्य है कि विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाकर पर्यावरण को हर तरह से संरक्षित करें, ताकि लोगों में फैल रहे तरह-तरह के रोगों से निजात मिल सके। उन्होंने इस पहल की शुरुआत जमीन के अभाव में अपने घर से की है। वह कहते हैं, अगर जमीन मिली तो वह पर्यावरण का संरक्षित कर अपने जीवन को सार्थक बनाएंगे।


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