अब स्कूल में बच्चे पढ़ेंगे फसल अवशेष के उपयोग का पाठ, दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी विभिन्न गतिविधियां
काेरोना संक्रमण के बाद स्कूलों की पढ़ाई लंबे समय तक बाधित रही। पठन-पाठन का तरीका भी बदल गया है। अब बच्चे स्कूल में फसल अवशेष के उपयोग का पाठ पढ़ेंगे। फसल अवशेषों के उपयोग व उसे जलाने से होने वाले नुकसानों से अवगत होंगे।
सासाराम, जेएनएन। काेरोना संक्रमण के बाद स्कूलों की पढ़ाई लंबे समय तक बाधित रही। पठन-पाठन का तरीका भी बदल गया है। अब बच्चे स्कूल में फसल अवशेष के उपयोग का पाठ पढ़ेंगे। फसल अवशेषों के उपयोग व उसे जलाने से होने वाले नुकसानों से अवगत होंगे। कारण कि शिक्षा विभाग ने फसल अवशेष पराली के उपयोग को निमित पाठ शामिल कर लिया है। इसे लेकर डीपीओ सर्व शिक्षा ने सभी बीईओ, बीआरपी व संकुल समन्वयकों को पत्र भेज विभागीय निर्णय पर अमल करने को कहा है।
छात्रों को किया जाएगा जागरूक
साथ ही डीएम ने भी फसल अवशेष जलाने पर जागरूकता को ले स्कूलों में निबंध, पेंटिंग, वाद-विवाद समेत अन्य प्रतियोगिता आयोजित कराने का भी निर्देश दिया है। इस कार्यक्रम को प्रयोग के तौर पर दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक सभी विद्यालयों में आयोजित करने को कहा गया है। प्रतिभागियों को पुरस्कार देने का भी प्रावधान है। बच्चों के लिए यह नई जानकारी अधिक लाभदायक होगी। कृषकों को जागरूक करने में वे मदद भी करेंगे। भविष्य की सोच के साथ जिला प्रशासन ने यह निर्णय लिया है और इस दिशा में सार्थक कदम बढ़ा दिए गए हैं।
डीपीओ बोले- गलती को रोकने के लिए जागरूकता जरूरी
डीपीओ एसएसए राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि किसी भी गलत काम को रोकने के लिए जागकरूता सबसे बड़ी चीज होती है। जिसमें बच्चों की भूमिका को सबसे अहम माना गया है। यही कारण है कि फसल अवशेष पराली के उपयोग से बच्चों व उनके अभिभावकों को अवगत कराने के उद्देश्य से प्राथमिक-मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में विशेष पाठ पढ़ाने को अनिवार्य कर दिया गया है। कारण कि पराली को खेतों में न जला कर उसे जैविक कंपोस्ट के रूप में उपयोग करने से किसानों को कई लाभ होता है। जहां खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, वहीं सिंचाई व रसायनिक खादों में भी बचत होती है।