इस विद्यालय में संस्कृत और अंग्रेजी के शिक्षक नहीं
पेज- फोटो 35, 36, 37, 38, 39 ------- -बुमुआर उ'च विद्यालय प्रांगण में शौचालय नहीं, खेत में विद्यार्थी जाते हैं शौच करने --------- अनदेखी -डेस्क-बेंच का घोर अभाव, ज्यादातर ब'चे बैठते हैं जमीन पर -विद्यालय के सभी शिक्षक लगाते हैं बायोमेट्रिक हाजिरी -------- -1953 में हुई थी स्कूल की स्थापना -17 बीघा भूमी पर बने हैं 18 कमरे -1356 ब'चे हैं स्कूल में नामांकित -------------- संवाद सूत्र, बाराचट्टी :
गया। मोहनपुर प्रखंड के उच्च विद्यालय बुमुआर में शिक्षकों के अभाव के कारण संस्कृत और अंग्रेजी विषय की पढ़ाई नहीं होती है। स्कूल परिसर में शौचालय नहीं होने से विशेषकर छात्राओं को काफी परेशानी हो रही है। डेस्क-बेंच का भी घोर अभाव है।
वर्ष 1953 में स्थापित उच्च विद्यालय में 18 कमरे हैं, जिनमें 1356 बच्चे नामांकित हैं। स्कूल की इमारत भव्य है, लेकिन दूसरी मंजिल पर प्लास्टर नहीं होने से हल्की हवा चलने पर रेत उड़ने से विद्यार्थी परेशान हैं। कई बार इसके कारण पठन-पाठन भी प्रभावित होता है। वहीं, स्कूल में शौचालय है पर वह जर्जर हो चुका है। स्कूल से बाहर और गंदा और जर्जर शौचालय होने से प्रयोग नहीं करते हैं। ऐसे में सभी खुले मैदान में शौच क्रिया को जाने को विवश हैं। हालांकि, एक कोने में ईट से पर्दा कर यहां कुछ बच्चे शौच करते हैं। विद्यालय के सभी शिक्षक बायोमेट्रिक हाजिरी बनाते हैं। शिक्षक समय से स्कूल आते-जाते हैं। स्कूल में पदस्थापित विज्ञान के शिक्षक नवदीप सिंह कहते हैं, मुझे आठ वर्ष से अब तक वेतन नहीं मिला है। इससे काफी परेशानी हो रही है।
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खेलने के लिए कोई सामग्री नहीं है। टूर्नामेंट होने पर हमलोगों के पास कोई जानकारी नहीं होती है। शिक्षक नहीं होने के कारण अंग्रेजी और संस्कृत विषय की पढ़ाई नहीं होती है।
सोम कुमार, कक्षा नौ
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दरी पर बैठकर परीक्षा देना पड़ता है। स्कूल में डेस्क-बेंच की काफी कमी है। परीक्षा के समय बच्चे बढ़ जाते हैं। समस्याओं को शीघ्र दूर करने की जरूरत है।
सिंटु कुमार, कक्षा नौ
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शिक्षक नहीं होने के कारण स्कूल में संस्कृत की पढ़ाई नहीं होती है। स्कूल में और भी कई समस्याएं हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है।
रौशन कुमार, कक्षा नौ
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शौचालय नहीं होने से काफी परेशानी हो रही है। हम लोगों को बाहर खेत में जाना पड़ता है। स्कूल में शौचालय है पर जर्जर और गंदा है। पुरुषोत्तम कुमार, कक्षा नौ
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हर समस्या से विभाग को अवगत कराया जाता है। शिक्षक की कमी, शौचालय निर्माण और बेंच-डेस्क की कमी के कारण बच्चों को पठन-पाठन में परेशानी हो रही है।
हाफिज सिकंदर खान, प्रभारी प्रधानाध्यापक