खाने को पैसा नहीं, पढ़ने के लिए स्मार्ट फोन कहां से लाएं, ऊपर से डाटा का खर्च, कैसी पढ़ पाएंगे गरीब के बच्चे
प्राइवेट स्कूलों की देखादेखी शिक्षा विभाग ने सरकारी एवं पारा शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा देने का आदेश पारित तो कर दिया है। आदेश के आलोक में सरकारी स्कूल के प्रधान एवं सहायक शिक्षकों ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए वाट्सएप ग्रुप का निर्माण तो कर लिया है।
[शुभम कुमार सिंह] औरंगाबाद। प्राइवेट स्कूलों की देखादेखी शिक्षा विभाग ने सरकारी एवं पारा शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा देने का आदेश पारित तो कर दिया है। आदेश के आलोक में सरकारी स्कूल के प्रधान एवं सहायक शिक्षकों ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए वाट्सएप ग्रुप का निर्माण तो कर लिया है, पर उस ग्रुप में नाम मात्र के ही बच्चे या अभिभावक जुड़ सके हैं। इसका मुख्य कारण है गरीबी और स्मार्ट फोन से वंचित रहना है।
वहीं, शिक्षा विभाग के आदेशों का पालन प्रखंड शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा है। प्रखंड के सभी स्कूलों में हर कार्यदिवस के दिन पर शिक्षा से संबंधित बच्चों को पढ़ने के लिए ऑनलाइन मेटर भेजा जाता है। पर अधिकतर अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन नहीं रहने के कारण सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवा पाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है।
एंड्राइड मोबाइल का न होना बन रहा रोड़ा
ऑनलाइन शिक्षा देने की सरकार की कवायद ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुंच से कोसों दूर है। गांव में खास कर गरीब बच्चों के घरों में टीवी और एंड्राइड मोबाइल का न होना ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ने में बहुत बड़ा बाधक है। ग्रामीण क्षेत्र के खास कर नक्सल इलाके के बच्चों के अभिभावक कहते है कि बाबू हमें दो जून की रोटी मुश्किल से नसीब हो पाती है। हमलोगों के लिए यह एक सपना है। ऊपर से बाढ़ और कोरोनकाल में रोजी रोजगार भी छीन गया है। ऐसे में हमलोग अपने बच्चों को यह कैसे उपलब्ध करवा पाएंगे। ग्रामीणों का बस एक ही बात कहना है कि खाने के लिए तो पैसा हैं ही नहीं तो स्मार्ट फोन कहाँ से लाएंगे। किसी तरह दो वक्त की रोटी का हमलोग व्यवस्था करते हैं।
ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों का संवरता भविष्य ऑनलाइन शिक्षा देने की कवायद सरकार की इस लॉकडाउन में बेहतर पहल थी। पर इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के माध्यम से संसाधनों की अगर व्यवस्था की जाती तो इसके बेहतर परिणाम सामने आते। सरकार ने गांव और शहर के बच्चों को एकसमान आंका जिसका परिणाम हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के कारण बच्चो के पास संसाधन के अभाव के कारण ऑनलाइन शिक्षा से अछूते रह गये। और इनकी शिक्षा पर ब्रेक लग गया।
शिक्षा से वंचित हो जाएंगे बच्चे
मदनपुर प्रखंड के जंगलतटीय इलाके के स्थानीय प्रतिनिधि विजय कुमार उर्फ गोलू यादव एवं देव के बिजेंद्र कुमार यादव ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चे हो रहे हैं। प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ऑनलाइन शिक्षा पा रहे हैं पर सरकारी स्कूल के 90 फीसद बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे हैं। सरकार को इन बच्चों के लिए पुख्ता व्यवस्था करने की आवश्यकता है। कोरोना का प्रकोप लंबा चला, तो अधिकतर बच्चे शिक्षा से कोसों दूर हो जाएंगे और बच्चों का उज्ज्वल भविष्य अंधकारमय हो जाएगा और वे रास्ता भटक जाएंगे।