जल-जीवन-हरियाली के लिए जन आंदोलन की जरूरत
जागरण संवाददाता गया
गया । जिला पदाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि जल जीवन हरियाली अभियान के लिए गया से बेहतर स्थल बिहार में नहीं हो सकता। विगत दिनों में आए जल संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। जल संकट के कारण न केवल मनुष्य बल्कि पशु, पौधे भी प्रभावित हुए। गया, रोहतास, कैमूर को धान का कटोरा क्षेत्र कहा जाता है, लेकिन जल संकट के कारण इस बार धान का अक्षदान 61 प्रतिशत रह गया, जो कि हर साल 90 से 95 प्रतिशत रहता है। सुखाड़ के लिए विशेष अभियान चलाना पड़ा। अचानक दो-तीन दिनों तक अत्यधिक वर्षा हुई। वर्षा का वर्ष भर का विचलन शून्य हो गया। यह बात जल-जीवन-हरियाली पर आयोजित कार्यशाला में शनिवार को डीएम ने कही।
उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान के तहत मानपुर, डुमरिया, इमामगंज प्रखंड को लिया गया, क्योंकि यहा ग्राउंड वाटर का दोहन ज्यादा हुआ है, जिसके कारण जल समस्या उत्पन्न हुई। ग्राउंड वाटर की जमीन से मिट्टी की अर्द्रता समाप्त हो जाती है, उस क्षेत्र के पानी का स्त्रोत सूख जाता है और वहा न केवल पानी की समस्या होती है बल्कि फसल उत्पादन समस्या हो जाती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के 18 प्रखंड जल संकट हुआ। शहरी क्षेत्र में जल स्तर 55 से 60 फीट पर चला गया है। इन समस्या से निपटने के लिए इस अभियान के तहत पुराने जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार एवं नये जल स्त्रोतों का निर्माण किया जाना है और इसके लिए सभी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।