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Navratri 2021: पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा कर के साथ सासाराम में की गई सर्व कल्याण की कामना

नवरात्र के पांचवें दिन रविवार को व्रतियों ने नवदुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता का पूजन किया। इस दौरान घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ व श्लोक-मंत्र से भक्ति का माहौल बना हुआ है। सर्व कल्याण की कामना भी लोग मां दुर्गा से कर रहे हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 05:54 PM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 05:54 PM (IST)
नवरात्र के पांचवें दिन हुई स्‍कंद माता की पूजा। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, सासाराम। नवरात्र के पांचवें दिन रविवार को व्रतियों ने नवदुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता का पूजन किया। इस दौरान घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ व श्लोक-मंत्र से भक्ति का माहौल बना हुआ है। सर्व कल्याण की कामना भी लोग मां दुर्गा से कर रहे हैं। बीएस कालेज चेनारी के प्राध्यापक ज्योतिषाचार्य प्रो. डॉ. श्रीधर मिश्र की माने तो मां स्कंद बुद्ध ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। स्कंदमाता का स्वरूप उस महिला या पुरुष का है, जो माता-पिता बनकर अपने बच्चों का लालन-पोषण करते हैं। इनका पूजन करने से भगवान कार्तिकेय के पूजन का भी लाभ प्राप्त होता है। शास्त्रानुसार देवी अपने ऊपर वाली दाईं भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाई हुई हैं, तो नीचे वाली दाईं भुजा में कमल पुष्प लिए हुई हैं। इसी कारण स्कंद माता को पद्मासना विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहते हैं। देवी स्कंदमाता की सवारी सिंह व साधना का संबंध बुद्ध ग्रह से है।

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आज मां कात्यायनी की पूजा कर पाएं मनचाहा वर

नवरात्र के छठे दिन सोमवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी की उपासना व आराधना की जाएगी। इस पूजा से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनोवांछित वर प्राप्त होते हैं। साथ ही रोग, शोक, संताप और भय भी नष्ट होता है। शक्ति स्वरूप मां कात्यायनी का सच्चे मन से आराधना करने वाले भक्तों के सभी पाप वे माफ कर देती हैं। वहीं किसी का विवाह नहीं हो रहा या फिर वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानी है, तो उसे शक्ति के इस स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। ऐसा माना जाता है कि परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं। विवाह बाधा निवारण में देवी कात्यायनी का तंत्र में अति महत्व है।


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