Move to Jagran APP

शहर के आरओ संचालक कर रहे लोगों की सेहत से खिलवाड़

गया शहर में मिलने वाला आरओ मिनरल प्लांट का पानी भले कुछ देर के लिए गले को ठंडक पहुंचा दे। लेकिन सेहत के लिए पूर्ण रूप से ठीक नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 11:46 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 11:46 PM (IST)
शहर के आरओ संचालक कर रहे लोगों की सेहत से खिलवाड़

गया : शहर में मिलने वाला आरओ मिनरल प्लांट का पानी भले कुछ देर के लिए गले को ठंडक पहुंचा दे। लेकिन सेहत के लिए पूर्ण रूप से ठीक नहीं है। क्योंकि पानी की गुणवत्ता की जांच कभी नहीं होती है। शहर में आरओ मिनरल वाटर प्लांट बिना लाइसेंस के चल रहे है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान ही नहीं देते है। इस कारण बिना मानक के पानी का सेवन करने में से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। सरकारी कार्यालय, निजी कार्यालय, घरों, दुकानों, शादी सहित अन्य समारोहों में भी इसी पानी की आपूर्ति की जाती है। पानी में कैल्शियम, मैग्निशियम, आयरन आदि कितनी मात्रा में है। मानक के अनुरूप है अथवा नहीं यह बात भी साफ नहीं हो पा रहा। वाटर प्लांट चलाने के लिए क्वालिटी कंट्रोल से लाइसेंस, नगर निगम से अनुमति प्रमाण पत्र, संबंधित अस्पताल से अनुमति प्रमाण पत्र एवं पानी की गुणवत्ता जांच के लिए लैब आदि हो तभी काम किया जा सकता है। प्लांट पर सभी गुणवत्ता और पैरामीटर को लिखना अनिवार्य होता है। इससे साथ प्लांट में पानी का नियमित जांच के लिए एक निजी लैब और लैब टेक्नीशियन की तैनाती होना चाहिए। साथ ही प्लांट की जांच हमेशा पीएचइडी विभाग से होते रहना चाहिए। लेकिन वैसा नहीं हो रहा है।

loksabha election banner

----

आरओ प्लांट से आपूर्ति हो रहा 1.60 लाख लीटर पानी

गया शहर और मानपुर में आरओ का 80 प्लांट है। जिससे प्रत्येक दिन शहर में 1.60 लाख लीटर पानी आपूर्ति किया जा रहा है। जो अपने आप में काफी है। पानी बिना जांच के बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। जिसके बारे में जानकर भी शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना है। क्योंकि सरकारी कार्यालय में भी आरओ प्लांट का पानी से लोग गला तर कर रहे है।

----

सभी प्लांट को दिया था अवैध करार

शहर में 2019 में आरओ प्लांट के विरुद्ध अभियान चलाया गया था। विभिन्न मोहल्ले में खोले गए आरओ प्लांट को अवैध करार देते हुए नगर निगम ने नोटिस भेजा था। इस निर्देश के बाद आरओ संचालकों में बेचैनी बढ़ गई थी। कभी वे नगर निगम के कार्यालय पहुंच रहे थे तो कभी बैठक कर रणनीति तय कर जिलाधिकारी के समक्ष पहुंचकर न्याय की गुहार लगा रहे थे। लेकिन सफलता उन्हें कहीं से नहीं मिली। पदाधिकारियों द्वारा छह महीने का समय लाइसेंस के लिए दिया गया था। लेकिन अभी तक किसी भी आरओ संचालक ने लाइसेंस नहीं लिया। आरओ प्लांट संचालक संघ के अध्यक्ष पंकज प्रकाश का कहना है कि 2019 में हुई कार्रवाई के बाद लाइसेंस बनाने के लिए कागजात नगर निगम कार्यालय में जमा किया गया था। दो वर्ष गुजर जाने बाद नगर निगम द्वारा अनुमति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है।

-----

शहर में चल रहे आरओ प्लांट की जांच दो-तीन दिनों में फिर से शुरू किया जाएगा। जांच की जिम्मेवारी सभी कनीय अभियंता को दी जाएगी। जांच के बाद बिना सरकार के मानक चल रहे आरओ प्लांट पर कार्रवाई की जाएगी।

सावन कुमार, नगर आयुक्त


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.